बिहार सरकार ने बरसात के मौसम में सरकारी स्कूलों में मिलने वाले मिड डे मील (मध्याह्न भोजन) के मेन्यू में बड़ा बदलाव किया है। राज्य के शिक्षा विभाग के मध्याह्न भोजन योजना निदेशालय ने स्पष्ट निर्देश जारी किया है कि बैगन, भिंडी, साग और पत्ता गोभी जैसी सब्जियों को अब स्कूलों के भोजन में शामिल नहीं किया जाएगा। यह निर्णय विद्यार्थियों की स्वास्थ्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
मानसून के मौसम में नमी और गंदगी के कारण इन चारों सब्जियों में कीड़े, फफूंद और बैक्टीरिया पनपने की संभावना बढ़ जाती है। विशेषकर भिंडी और पत्ता गोभी जल्दी खराब हो जाता है और अगर समय पर साफ न किया जाए तो बच्चों को फूड पॉयजनिंग जैसी समस्या हो सकता हैं। बैगन और साग भी बरसात में जल्दी गल जाता है और उनमें कीटाणुओं का भरमार हो जाता है।
मध्याह्न भोजन योजना का उद्देश्य केवल भोजन देना नही है बल्कि पोषणयुक्त और सुरक्षित भोजन उपलब्ध कराना है। इसी को ध्यान में रखते हुए निदेशालय ने निर्देश जारी किया है कि स्कूलों में केवल ताजे और स्थानीय स्तर पर उपलब्ध मौसमी सब्जियों का ही उपयोग किया जाए। इससे बच्चों को न केवल साफ और पौष्टिक भोजन मिलेगा, बल्कि बीमारियों से भी बचाव होगा।
शिक्षा विभाग के इस निर्णय से स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सब्जियों जैसे लौकी, टमाटर, तोरई, परवल, कद्दू, हरी मिर्च और आलू को प्राथमिकता दी जाएगी। यह सब्जियां आसानी से उपलब्ध होती हैं, जल्दी नहीं खराब होता है और इसकी पाचन क्षमता भी अधिक होता है। इससे गांवों और कस्बों के स्थानीय सब्जी उत्पादकों को भी आर्थिक लाभ मिलेगा।
राज्य के सभी सरकारी स्कूलों को यह निर्देश दिया गया हैं कि वह बरसात के पूरे मौसम में उक्त चार सब्जियों से परहेज करें और रसोइयों को इस संबंध में विशेष प्रशिक्षण भी दिया जाए। विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों और संबंधित पदाधिकारियों को इसकी कड़ाई से निगरानी करने को भी कहा गया है।
शिक्षा विभाग की यह पहल निश्चित रूप से सराहनीय है। बच्चों की सेहत से जुड़ी कोई भी लापरवाही भविष्य में गंभीर परिणाम ला सकता है। ऐसे में बरसात जैसे संवेदनशील मौसम में भोजन को लेकर बरती गई यह सावधानी बच्चों की सुरक्षा के लिए एक सकारात्मक कदम है।
बिहार सरकार की यह पहल यह संदेश देता है कि मिड डे मील सिर्फ भूख मिटाने का नहीं, बल्कि सेहत बनाने का माध्यम भी है। बरसात के मौसम में साफ-सुथरा और ताजा भोजन देना जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है बीमारी से बचाव। ऐसे में बैगन-भिंडी की विदाई और ताजगी की वापसी स्वागत योग्य है।
