महावीर मंदिर के सामने - अब नहीं बिकेगा मांसाहार

Jitendra Kumar Sinha
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राजधानी पटना में महावीर मंदिर के सामने अब चिकन चिल्ली, कबाब और अन्य मांसाहारी व्यंजनों की दुकानें नजर नहीं आएंगी। नगर निगम ने यह फैसला लिया है कि धार्मिक आस्था और श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए इन दुकानों को हटाया जाएगा और उन्हें किसी अन्य उपयुक्त स्थान पर स्थानांतरित किया जाएगा।

पटना नगर आयुक्त अमितेष कुमार ने जानकारी दी है कि महावीर मंदिर के ठीक सामने लगे मांसाहारी भोजन वाले ठेले और दुकानों को हटाया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा है कि इन दुकानों के लिए एक नई जगह चिन्हित किया जा रहा है, जहां उन्हें व्यवस्थित रूप से स्थापित किया जाएगा।

नगर आयुक्त ने बताया है कि लगातार मिल रही शिकायतों के बाद यह निर्णय लिया गया है। श्रद्धालु और स्थानीय नागरिक लंबे समय से मंदिर के सामने मांसाहारी दुकानों को हटाने की मांग कर रहे थे, क्योंकि यह धार्मिक स्थल की गरिमा के खिलाफ माना जा रहा था।

नगर आयुक्त ने शुक्रवार देर शाम पटना जंक्शन क्षेत्र का निरीक्षण किया और कहा कि यहां की स्थिति अब पहले से काफी बेहतर हो गया है। जंक्शन के पास खाने की दुकानों के साथ-साथ कपड़ों की दुकानें भी अनियंत्रित रूप से लगी हुई है। इन सभी को एक व्यवस्थित स्थान पर स्थानांतरित करने की प्रक्रिया चल रही है। इससे न केवल साफ-सफाई में सुधार होगा, बल्कि यात्रियों को आवागमन में भी सुविधा मिलेगी।

नगर निगम की योजना है कि शहर में अव्यवस्थित दुकानों को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाए और एक नियोजित बाजार व्यवस्था विकसित की जाए। मंदिर जैसे धार्मिक स्थलों के आस-पास साफ-सफाई और शांति बनी रहे, यह प्रशासन की प्राथमिकता है। आने वाले समय में पटना जंक्शन पर यात्रियों के लिए शौचालय, विश्राम स्थल और पीने के पानी जैसी सुविधाएं भी बेहतर किया जाएगा।

महावीर मंदिर, पटना का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जहां प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में मंदिर के सामने मांसाहारी भोजन की दुकानों की उपस्थिति श्रद्धालुओं को असहज करती रही है। नगर निगम का यह कदम धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए सामाजिक सामंजस्य स्थापित करने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास माना जा रहा है।

पटना नगर निगम का यह फैसला एक तरफ धार्मिक आस्थाओं का सम्मान करता है तो दूसरी तरफ शहरी व्यवस्थापन की ओर भी इशारा करता है। यह जरूरी है कि धार्मिक स्थलों के आस-पास की गतिविधियां श्रद्धालुओं के अनुरूप हो, ताकि सांस्कृतिक सौहार्द बना रहे।



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