नैनो जिंक फैब्रिक सॉफ्टनर में है - बैक्टीरिया, वायरस और फंगस नाशक गुण

Jitendra Kumar Sinha
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कोरोना महामारी के बाद दुनियाभर में साफ-सफाई और संक्रमण से बचाव को लेकर नई सोच ने जन्म लिया है। सतहों, दीवारों, कपड़ों और संपर्क में आने वाले हर माध्यम को संक्रमण मुक्त बनाए रखना आज के समय की अनिवार्यता बन चुका है। इसी क्रम में जोधपुर रक्षा प्रयोगशाला के पूर्व निदेशक और वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र कुमार जैन ने “नैनो जिंक टेक्नोलॉजी” पर आधारित दो नवाचारी उत्पाद विकसित किया हैं, जो भारत को सार्वजनिक स्वच्छता के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की ओर एक ठोस प्रयास हैं।

नैनो टेक्नोलॉजी विज्ञान की वह शाखा है जो अति सूक्ष्म कणों (नैनोमीटर स्तर पर) के अध्ययन और उपयोग पर आधारित होता है। नैनो जिंक ऑक्साइड में जिंक के कणों का आकार 10 से 20 नैनोमीटर होता है। एक नैनोमीटर, एक मीटर का एक अरबवां हिस्सा होता है। जब जिंक को इस सूक्ष्म स्तर पर बदला जाता है, तो उसकी संक्रमण रोधी क्षमताएं कई गुना बढ़ जाता हैं।

नैनो जिंक ऑक्साइड के गुण है बैक्टीरिया, वायरस और फंगस के खिलाफ अत्यंत प्रभावी होना, त्वचा और वस्त्र के लिए सुरक्षित होना और सतह पर लंबे समय तक टिकाऊ रहना।

डॉ. जैन द्वारा विकसित पहला नवाचार है  “नैनो जिंक फैब्रिक सॉफ्टनर”, जो कपड़ा धोने के बाद उसे न केवल मुलायम बनाता है, बल्कि महीनों तक संक्रमण से सुरक्षित भी रखता है। इस सॉफ्टनर की सबसे बड़ी विशेषता है इसका बैक्टीरिया, वायरस और फंगस नाशक गुण।

इसका उपयोग हाथ से कपड़ा धोते समय अंतिम पानी में मिलाकर, वॉशिंग मशीन में अंतिम रिंस साइकिल में उपयोग करके, स्प्रे फॉर्म में कपड़ों पर छिड़काव के रूप में इस्तेमाल करना। इसका प्रमुख लाभ अस्पतालों में चादरें, गाउन, पर्दे संक्रमण रहित रहेंगे, रेलवे की चादरें, तौलिए और अन्य उपयोगी वस्तुएं महीनों तक स्वच्छ रहेंगी, स्कूलों और होटलों में उपयोग कर संक्रमण के खतरे को न्यूनतम किया जा सकता है। वायरस और बैक्टीरिया से लड़ाई में यह उत्पाद गेम चेंजर साबित हो सकता है।

दूसरा उत्पाद है  “नैनो जिंक आधारित एंटीमाइक्रोबियल पेंट”, जिसे किसी भी सार्वजनिक या निजी संस्थान की दीवारों, दरवाजों, फर्नीचर आदि पर लगाया जा सकता है। यह पेंट कम से कम पांच वर्षों तक सतह को संक्रमण से मुक्त रखता है, जो सामान्य पेंट्स से कहीं अधिक प्रभावी और टिकाऊ है। इसका उपयोग अस्पतालों की दीवारें और पलंग, स्कूलों के क्लासरूम और फर्नीचर, होटलों के कमरे, रिसेप्शन और लॉबी, रेलवे स्टेशनों की दीवारें और बेंच तथा सार्वजनिक शौचालय, मॉल और सरकारी दफ्तर में किया जा सकता है?

“नैनो जिंक आधारित एंटीमाइक्रोबियल पेंट” के इस्तेमाल करने से सतह पर बैक्टीरिया और वायरस जम नहीं पाता है, पेंट एक सुरक्षात्मक परत बनाता है, बार-बार सफाई की जरूरत कम हो जाता है। 5 वर्षों तक प्रभावी कार्यक्षमता रहता है। गर्मी, धूल और रगड़ से प्रभावित नहीं होता है।

दोनों ही उत्पादों को केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय के अधीन कार्यरत वूलन रिसर्च एसोसिएशन द्वारा प्रमाणित किया गया है। इसके अलावा इन उत्पादों का परीक्षण ASTM E-2149:2020 अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुरूप किया गया है, जो इन्हें वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित संक्रमण-रोधी समाधान बनाता है।

इन उत्पादों के माध्यम से न केवल सरकारी संस्थानों में संक्रमण नियंत्रण सुनिश्चित होगा, बल्कि यह नवाचार भारत सरकार की स्वच्छ भारत और आत्मनिर्भर भारत जैसी योजनाओं के अनुरूप है। कोरोना जैसी महामारी के बाद यह स्पष्ट हो चुका है कि अगली महामारी से बचाव के लिए पहले से तैयार रहना अनिवार्य है, और इस दिशा में यह टेक्नोलॉजी वरदान साबित हो सकता है।

डॉ. जैन ने यह दोनों उत्पाद “मरुधरा पेंट्स एंड पॉलिमर”, जोधपुर के साथ तकनीकी सहयोग में विकसित किया हैं। यह कंपनी लंबे समय से पेंट और पॉलिमर क्षेत्र में कार्यरत है और इन उत्पादों का औद्योगिक उत्पादन और विपणन भी इसी के माध्यम से किया जा रहा है।

आज के युग में जब वायरस और बैक्टीरिया एक अदृश्य दुश्मन बनकर जीवन में बार-बार दस्तक दे रहा हैं, ऐसे में इन नैनो उत्पादों का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। यदि इनका व्यापक स्तर पर उपयोग किया जाए तो यह न केवल बीमारी के प्रसार को रोकेगा, बल्कि चिकित्सा व्यय में भी भारी कटौती होगी।

डॉ. नरेंद्र कुमार जैन का यह कार्य यह सिद्ध करता है कि भारत में वैज्ञानिक नवाचार न केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित है, बल्कि अब वह आम जनता के जीवन को सुरक्षित बनाने में भी सक्रिय रूप से भागीदार बन चुका है। ऐसे वैज्ञानिकों को सरकार और समाज दोनों से समर्थन और प्रोत्साहन मिलना आवश्यक है।



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