मकान, फ्लैट या जमीन खरीदने से पहले - 21 जरूरी दस्तावेजों की जांच अवश्य करना चाहिए

Jitendra Kumar Sinha
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भारत में आम आदमी की सबसे बड़ी आर्थिक योजना होती है ‘एक अपना घर’ और इसके लिए वह जीवन भर की पूंजी लगाता है। लेकिन अक्सर देखा गया है कि भावनाओं के बहाव में लोग दस्तावेजों की सही जांच नहीं करते हैं, जिससे बाद में उन्हें कानूनी विवादों, धोखाधड़ी और संपत्ति विवादों का सामना करना पड़ता है।

दस्तावेज सेल डीड संपत्ति की बिक्री और ट्रांसफर का प्रमाण होता है। यह, यह पुष्टि करता है कि विक्रेता ने संपत्ति बेची है और अब खरीदार कानूनन मालिक हैं। सेल डीड रजिस्टर्ड होनी चाहिए और विक्रेता के पास इसका ऑरिजिनल होना चाहिए।

चेन ऑफ टाइटल डीड (दस्तावेज) संपत्ति के स्वामित्व के इतिहास को दर्शाता है, यह दिखाता है कि पिछली बार किसने यह संपत्ति खरीदी थी, उससे पहले कौन मालिक था, आदि। अगर चेन टूटी हुई हो या कहीं गड़बड़ हो, तो संपत्ति विवाद में फँस सकती है।

टाइटल डीड यह पुष्टि करता है कि विक्रेता संपत्ति का वैध और निर्विवाद मालिक है। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि टाइटल डीड पर किसी प्रकार का रोक, ऋण, बकाया या मुकदमा दर्ज न हो।

मदर डीड, इसमें संपत्ति की उत्पत्ति से लेकर अब तक के सारे ट्रांसफर दर्ज होते हैं। यह दस्तावेज विशेषकर तब जरूरी होता है जब आप बैंक से लोन लेना चाहते हैं।

उत्तराधिकार प्रमाण पत्र, यदि संपत्ति किसी की मृत्यु के बाद उत्तराधिकार में मिली है, तो वारिस को यह प्रमाण पत्र प्राप्त करना होता है। बिना इस प्रमाणपत्र के प्रॉपर्टी का लेन-देन अवैध हो सकता है।

वसीयत और प्रमाणिकता, अगर संपत्ति वसीयत के जरिए मिली है, तो उसकी प्रामाणिकता कोर्ट से प्रमाणित होनी चाहिए। यह जरूरी है ताकि कोई दूसरा उत्तराधिकारी बाद में दावा न कर सके।

इनकम्ब्रेंस सर्टिफिकेट, यह प्रमाणित करता है कि संपत्ति पर कोई कानूनी रोक, ऋण, गिरवी या बकाया नहीं है। इसे सब-रजिस्ट्रार कार्यालय से 12–30 वर्षों की अवधि तक के लिए लिया जाता है।

अनापत्ति प्रमाण पत्र,  विभिन्न सरकारी विभागों से NOC प्राप्त करना आवश्यक होता है, जैसे- नगरपालिका, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, अग्निशमन विभाग, पर्यावरण विभाग का NOC सुनिश्चित करता है कि संपत्ति पर कोई सरकारी प्रतिबंध नहीं है।

कानूनी राय, किसी अनुभवी रियल एस्टेट वकील से दस्तावेजों की विधिक जांच करवाना चाहिए ताकि  भविष्य में कोर्ट-कचहरी के झंझट से बच सके। 

लेआउट और नक्शा, यदि फ्लैट या मकान खरीद रहे हैं, तो इसका लेआउट स्थानीय नगर निगम/विकास प्राधिकरण से स्वीकृत होना चाहिए। नक्शा से अलग निर्माण, अवैध माना जाएगा।

ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट, यह प्रमाण पत्र बताता है कि निर्माण कार्य स्वीकृत नक्शे के अनुसार हुआ है और भवन रहने योग्य है। इसके बिना बिजली-पानी के कनेक्शन में समस्या आती है।

कंप्लीशन सर्टिफिकेट, इससे पता चलता है कि निर्माण कार्य तय समय सीमा में, मानकों के अनुसार पूरा हुआ है। बिना इस सर्टिफिकेट के बैंकों से लोन में परेशानी हो सकता है।

भूमि उपयोग परिवर्तन प्रमाण पत्र, यदि आप जिस जमीन पर मकान बना रहे हैं वह कृषि भूमि थी, तो उसे गैर-कृषि में परिवर्तित करने का प्रमाण पत्र अनिवार्य है।

भू-राजस्व रिकॉड, इसमें भूमि का प्रकार (कृषि या गैर-कृषि), मालिक का नाम, क्षेत्रफल, बकाया टैक्स आदि होता है। जमीन खरीदते समय पिछली 2–3 जमाबंदी कॉपी अवश्य जांचना चाहिए। 

म्यूटेशन रिकॉड, यह दर्शाता है कि सरकारी रेकॉर्ड में संपत्ति का मालिक कौन है। कृषि भूमि के मामलों में यह दस्तावेज अनिवार्य होता है।

प्रॉपर्टी टैक्स रसीद, संपत्ति पर कोई टैक्स बकाया तो नहीं? इसके लिए पिछले 3–5 वर्षों की टैक्स रसीदें चेक करना चाहिए।

RERA पंजीकरण, यदि संपत्ति रियल एस्टेट प्रोजेक्ट का हिस्सा है, तो यह RERA में पंजीकृत होना चाहिए।
इससे प्रोजेक्ट की वैधता और समयसीमा की जानकारी मिलती है।

सोसाइटी NOC , फ्लैट या अपार्टमेंट खरीदते समय, सोसाइटी से NOC लेना अनिवार्य होता है कि उन्हें विक्रेता से कोई बकाया नहीं है।

मेंटेनेंस चार्जेज और उपभोक्ता करार, सोसाइटी के नियम, मेंटेनेंस चार्ज और कनेक्शन/संपत्ति से जुड़े करार भी ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए ।

बिल्डर के वादों, एजेंट की बातों या विक्रेता की मीठी बातों पर भरोसा करने से बेहतर है कि कानूनी और प्रशासनिक दस्तावेजों के आधार पर निर्णय लेना चाहिए। 

किसी भी दस्तावेज को नकली या छेड़छाड़ वाला न मानें जब तक किसी वकील से उसे वेरिफाई न करवा लें। सभी दस्तावेजों की कॉपी अपने पास रखें और जरूरत हो तो नोटरी से सत्यापित करवा लें।

खरीदार को हमेशा ऑरिजिनल दस्तावेज देखने की मांग करना चाहिए। नो ड्यूज सर्टिफिकेट या क्लियर टैक्स स्टेटमेंट प्राप्त करना चाहिए, सभी लेन-देन लिखित और रजिस्टर्ड रूप में करना चाहिए। 

RERA पोर्टल से बिल्डर की वैधता जांच लेना चाहिए। किसी भी पेमेंट से पहले संपत्ति की फिजिकल जांच करना चाहिए। बैंक लोन से खरीदना चाहिए, क्योंकि बैंक भी दस्तावेजों की पुष्टि करता है। यह एक प्रकार से अतिरिक्त सुरक्षा देता है।

मकान या जमीन खरीदना केवल एक आर्थिक लेन-देन नहीं है, बल्कि भविष्य की सुरक्षा और सपनों की नींव है। इसलिए सावधानी और दस्तावेजों की समुचित जांच करने पर भारी नुकसान से बचा जा सकता है।



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