कालाजार जैसी जानलेवा बीमारी को जड़ से खत्म करने की दिशा में बिहार सरकार ने एक बार फिर बड़ा कदम उठाया है। राज्य के 32 जिलों में द्वितीय चरण के अंतर्गत सिंथेटिक पायरेथॉयराइड (Synthetic Pyrethroid) का छिड़काव 21 जुलाई से शुरू किया जा रहा है। यह अभियान दो महीने तक चलेगा और इसका उद्देश्य है कालाजार संक्रमण की रोकथाम और उसे पूरी तरह नियंत्रित करना।
सिंथेटिक पायरेथॉयराइड एक प्रकार का रसायन है, जिसका उपयोग मच्छरों, मक्खियों और बालू मक्खियों जैसे कीटों को खत्म करने के लिए किया जाता है। बालू मक्खी ही कालाजार फैलाने का प्रमुख कारण हता है। इस रसायन के छिड़काव से मक्खियों का प्रजनन और प्रभाव दोनों नियंत्रित किया जाता हैं।
इस अभियान के लिए 9200 से अधिक आशा कार्यकर्ताओं को लगाया गया है। ये कार्यकर्ता छिड़काव से दो दिन पहले ही घरों में जाकर सूचना देगी, ताकि लोग तैयार रहे और सहयोग कर सके।
छिड़काव के दौरान घरों के कमरों और गोहालों की छह फुट ऊंचाई तक की दीवारों पर स्प्रे किया जाएगा। हर प्रखंड के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को पहले ही कंप्रेशन पंप उपलब्ध कराया गया है, ताकि समय पर और प्रभावी छिड़काव सुनिश्चित किया जा सके।
इस पूरे अभियान की निगरानी जिला स्तर पर बीबीडीसी (VBBDC) पदाधिकारी और भीडीसीओ (VBDCO) के द्वारा किया जाएगा। सरकार ने छिड़काव करने वाले सभी कर्मियों को पीपीई किट उपलब्ध करा दिया गया हैं, ताकि वह पूरी तरह सुरक्षित रहकर अपना कार्य कर सकें।
बिहार के कई जिला कालाजार से प्रभावित हैं, जहां हर वर्ष सैंकड़ों मामला सामने आता है। इस रोग का मुख्य कारण बालू मक्खी के काटने से लीशमैनिया डोनोवानी नामक परजीवी का संक्रमण होता है। यदि समय पर इसका इलाज न हो, तो यह घातक साबित हो सकता है।
पिछले कुछ वर्षों में सरकारी छिड़काव अभियानों, जागरूकता कार्यक्रमों और दवा वितरण के माध्यम से कालाजार के मामलों में भारी गिरावट आई है। यह द्वितीय चरण उसी प्रयास का हिस्सा है, ताकि इस बीमारी को पूरी तरह खत्म किया जा सके।
राज्य सरकार का यह कदम स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक प्रभावशाली प्रयास है। कालाजार जैसी गंभीर बीमारी पर नियंत्रण पाने के लिए सामूहिक जागरूकता और सरकारी सक्रियता दोनों आवश्यक हैं। उम्मीद है कि इस बार का छिड़काव अभियान पहले से ज्यादा असरदार होगा और बिहार को जल्द ही कालाजार मुक्त राज्य बनाने की दिशा में एक और मजबूत कदम साबित होगा।

