राजस्थान की असलियत पर आधारित है - "उदयपुर फाइल्स" - ट्रेलर हुआ रिलीज

Jitendra Kumar Sinha
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उदयपुर फाइल्स पर सेंसर बोर्ड की तिरछी नजर... लगाए 150 कट, विवादों पर  कन्हैयालाल के बेटे ने दी प्रतिक्रिया | Udaipur Files movie controversies,  censor board gave 150 cuts ...

सत्य घटनाओं पर आधारित फिल्मों की श्रेणी में अब एक और नाम जुड़ गया है "उदयपुर फाइल्स"। फिल्म का ट्रेलर हाल ही में रिलीज किया गया है और सोशल मीडिया पर आते ही सनसनी मचा दी है। यह फिल्म उदयपुर में हुए कन्हैयालाल हत्याकांड जैसी घटना से प्रेरित है, जो भारत को झकझोर देने वाली घटनाओं में से एक थी।

ट्रेलर की शुरुआत उदयपुर शहर की शांत गलियों से होती है, लेकिन जल्द ही पर्दे पर वह भयावह दृश्य आता है जब एक निर्दोष दर्जी को दिनदहाड़े मार डाला जाता है, वो भी सिर्फ एक सोशल मीडिया पोस्ट के कारण। ट्रेलर में कानून व्यवस्था, धार्मिक उन्माद और आतंकवाद की साजिश को खुलकर दिखाया गया है।

ट्रेलर में संवाद भी बेहद दमदार हैं "जब न्याय नहीं मिलेगा, तब क्या लोग खुद हथियार उठाएंगे?" इस एक सवाल ने ट्रेलर के अंत में दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर दिया है।

"उदयपुर फाइल्स" की कहानी उस दिल दहला देने वाली घटना पर आधारित है, जिसमें एक दर्जी को केवल अपने विचार व्यक्त करने के लिए दिनदहाड़े मौत के घाट उतार दिया गया था। फिल्म यह भी दिखाती है कि कैसे धर्म की आड़ में आतंकी सोच समाज में जहर घोल रहा है और राजनीतिक ताकतें भी इस आग में घी डालने से पीछे नहीं हटती है। फिल्म इस जघन्य हत्याकांड के बाद आम जनता, पुलिस प्रशासन, मीडिया और पीड़ित परिवार के संघर्ष को भी सामने लाती है।

कलाकार विनीत कुमार सिंह  एक ईमानदार पुलिस अधिकारी के रूप में नजर आएंगे, जो केस की परतें खोलता है। रवि किशन एक लोकल नेता की भूमिका में हैं, जो दोमुंही राजनीति का चेहरा हैं। अनुप्रिया गोयनका पीड़ित की बहन की भूमिका में है, जो न्याय के लिए लड़ती है। मुकुल चड्ढा एनआईए अधिकारी के रूप में है, जो इस घटना को आतंक से जोड़ते हैं।

फिल्म 2 अगस्त 2025 को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज होगी। उम्मीद है कि यह फिल्म भी "द कश्मीर फाइल्स" और "केरल स्टोरी" की तरह समाज में चर्चाएं और बहस छेड़ेगी। "उदयपुर फाइल्स" एक सच्ची घटना पर आधारित है। यह फिल्म कट्टरपंथ, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दों को उठाती है और पुलिस, मीडिया और समाज की भूमिका पर सवाल खड़ा करती है।



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