कारगिल विजय दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक ऐतिहासिक और दूरदर्शी निर्णय की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि अब अग्निपथ योजना के तहत सेवा देने वाले 'अग्निवीरों' को उत्तर प्रदेश पुलिस बल में 20 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। इस घोषणा से न केवल अग्निवीरों को एक नई पहचान मिलेगी, बल्कि यह फैसला युवाओं को सैन्य सेवा की ओर प्रेरित भी करेगा।
26 जुलाई को लखनऊ में आयोजित कारगिल विजय दिवस समारोह के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह बड़ा ऐलान किया है। इस मौके पर उन्होंने कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि भारत की सीमाएं हमारे वीर जवानों की वजह से सुरक्षित हैं।
योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि “जो युवा चार साल देश की सेवा करते हैं, उनके अनुभव और अनुशासन को उत्तर प्रदेश की आंतरिक सुरक्षा में उपयोग करना हमारा कर्तव्य है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि अग्निवीरों की सैन्य सेवा के बाद उनकी सामाजिक सुरक्षा और भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया गया है।
उत्तर प्रदेश पुलिस बल में 20% पद अग्निवीरों के लिए आरक्षित होंगे। यह आरक्षण सिपाही से लेकर अन्य पुलिस पदों तक लागू रहेगा। सेना से सेवानिवृत्त होकर लौटे अग्निवीरों को शारीरिक दक्षता और अनुशासन में प्राथमिकता मिलेगी। भर्ती प्रक्रिया में अग्निवीरों को आयु सीमा में भी विशेष छूट देने की योजना पर विचार हो रहा है।
भारत सरकार द्वारा शुरू की गई अग्निपथ योजना में युवाओं को चार वर्ष की सैन्य सेवा का अवसर मिलता है। हालांकि इस योजना को लेकर पहले कुछ आशंकाएं थीं कि चार साल बाद इन अग्निवीरों का क्या भविष्य होगा।
मुख्यमंत्री योगी के इस कदम से अब यह संदेश स्पष्ट हो गया है कि अग्निवीरों को सिर्फ सेना ही नहीं, राज्य पुलिस और अर्धसैनिक बलों में भी स्थाई अवसर मिलेंगे। यह अन्य राज्यों के लिए भी एक आदर्श बन सकता है।
इस घोषणा के बाद युवाओं में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। सोशल मीडिया पर लोग इस फैसले की सराहना कर रहे हैं। एक पूर्व अग्निवीर ने ट्वीट किया, “अब हमें पता है कि देश की सेवा के बाद भी सरकार हमारे साथ है।”
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा अग्निवीरों को उत्तर प्रदेश पुलिस में 20% आरक्षण देने का फैसला न केवल पूर्व सैनिकों के भविष्य को सुरक्षित करता है, बल्कि अग्निपथ योजना को मजबूती और सम्मान भी प्रदान करता है। यह निर्णय राष्ट्रवाद, युवा सशक्तिकरण और सुशासन की दिशा में एक सशक्त कदम है। उत्तर प्रदेश एक बार फिर साबित कर रहा है कि वह देश के सुरक्षाकर्मियों के हितों की रक्षा करने में सबसे आगे है।
