लोकसभा में हुए ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर जब सरकार की विदेश नीति और आतंकवाद विरोधी कार्रवाई के बारे में बोल रहे थे, विपक्ष की तरफ से शोर-शराबा शुरू हो गया। इस बीच गृह मंत्री अमित शाह उठ खड़े हुए और विपक्ष को जमकर लताड़ा। उन्होंने कहा कि विपक्षी नेता भारत सरकार या विदेश मंत्री जयशंकर पर भरोसा नहीं करते, बल्कि “किसी और देश” यानी पाकिस्तान की बातों में विश्वास रखते हैं। शाह ने यह भी तंज कसा कि अगर वे यही रवैया बनाए रखेंगे तो वे “अगले 20 साल तक उसी तरफ बैठते रहेंगे”—यानी विपक्ष से बाहर नहीं निकल पाएंगे। वह दूसरी बार भी जयशंकर की बात को काबू में लाने की कोशिश में उठे, यह कहते हुए कि गंभीर परिचर्चा में बैठकर टोकाटोकी करना शोभा नहीं देता और अध्यक्ष को विदेश मंत्री की रक्षा करनी चाहिए
इस बातचीत में गृह मंत्री का तीखा रुख साफ था: विपक्ष को अपने मंत्री पर भरोसा नहीं, लेकिन उनकी आलोचना पर भरोसा ज़रूर है। उन्होंने कहा कि विपक्ष की इस असहिष्णुता और अविश्वास की वजह से ही वे संसद की विपक्षी बेंच पर “अगले 20 साल” तक रहते रहेंगे
