संसद के मानसून सत्र में सोमवार को उस समय गर्मा-गर्मी देखने को मिली जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर पर सरकार का पक्ष रखा और विपक्ष, खासकर कांग्रेस, ने इस पर तीखे सवाल उठाए। राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन को सेना की सटीक रणनीति और दृढ़ संकल्प का उदाहरण बताया और कहा कि भारतीय सेना ने आतंक के अड्डों को उसी जगह निशाना बनाया जहाँ सबसे अधिक नुकसान पहुँचाया जा सके। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा और इससे भारत की सैन्य क्षमता का दुनिया को संदेश मिला।
इस पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तीखा सवाल दागा—"ऑपरेशन सिंदूर को अचानक क्यों रोका गया? अगर सरकार कहती है कि यह इतना सफल था तो फिर इसे बीच में क्यों समाप्त किया गया?" राहुल गांधी ने सरकार पर पारदर्शिता की कमी और रणनीतिक अस्पष्टता का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि कितने आतंकवादी मारे गए, क्या नुकसान हुआ और क्या यह अमेरिकी दबाव में रोका गया।
राहुल गांधी के सवालों के जवाब में राजनाथ सिंह ने कहा कि कांग्रेस का इतिहास हमेशा सेना की वीरता को कमतर आंकने का रहा है। उन्होंने राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आप हमेशा सैनिकों की कार्रवाई पर सवाल उठाते हैं, लेकिन पाकिस्तान और आतंकवाद पर कुछ नहीं बोलते। उन्होंने यह भी जोड़ा कि ऑपरेशन का उद्देश्य अधिकतम क्षति पहुँचाना था और उस लक्ष्य को पूरी तरह प्राप्त कर लिया गया।
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने सरकार से पूछा कि पनाहलगाम जैसे संवेदनशील इलाके में आतंकवादी आखिर कैसे घुस गए। उन्होंने कहा कि यह एक खुफिया विफलता है और सरकार को जवाब देना चाहिए। वहीं सांसद प्रणिति शिंदे ने इस ऑपरेशन को ‘तामाशा’ करार देते हुए कहा कि अगर ऑपरेशन इतना प्रभावी था तो सरकार को आंकड़े क्यों छिपाने पड़ रहे हैं।
बीजेपी की तरफ से अनुराग ठाकुर और लीला सिंह ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। अनुराग ठाकुर ने कहा कि हमारी सेना वहीं मारती है जहाँ दर्द होता है। उन्होंने कहा कि विपक्ष को सेना की कार्रवाई पर सवाल उठाने से पहले खुद के रुख पर विचार करना चाहिए। लीला सिंह ने कहा कि कांग्रेस अब भी 1962 की मानसिकता से बाहर नहीं निकल पाई है और सेना की उपलब्धियों को नीचा दिखाने की कोशिश कर रही है।
पूरे सत्र के दौरान विपक्ष लगातार सरकार पर दबाव डालता रहा कि ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी सारी जानकारियाँ सार्वजनिक की जाएँ। कई विपक्षी सांसदों ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने अमेरिकी और पश्चिमी देशों के दबाव में ऑपरेशन को अधूरा छोड़ा। विपक्ष यह जानना चाहता है कि सरकार ने कब और क्यों फैसला लिया कि सैन्य कार्रवाई रोक दी जाए।
राजनाथ सिंह ने इस पर जवाब दिया कि सरकार ने जो किया वह राष्ट्रीय हित में था और सेना ने जो लक्ष्य तय किया था वह पूरा हुआ। उन्होंने कहा कि राष्ट्रहित में कुछ जानकारियाँ गोपनीय रखी जाती हैं और यह कोई नई बात नहीं है। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह सेना के मनोबल को तोड़ने का प्रयास कर रही है।
इस बहस ने यह स्पष्ट कर दिया कि ऑपरेशन सिंदूर न केवल सैन्य दृष्टि से बल्कि राजनीतिक रूप से भी एक संवेदनशील मुद्दा बन चुका है। जहाँ सरकार इसे अपनी रणनीतिक सफलता बता रही है, वहीं विपक्ष इसकी पारदर्शिता और निर्णय प्रक्रिया पर सवाल उठा रहा है। देश की जनता अब यह जानना चाहती है कि आतंकियों को सबक सिखाने का दावा कितना प्रभावी रहा और इसके पीछे की सच्चाई क्या है।
