AX-4 मिशन: शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष से धरती वापसी की ऐतिहासिक उड़ान

Jitendra Kumar Sinha
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स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल ‘ग्रेस’ ने आज अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से सफलतापूर्वक अनडॉक कर लिया। इस मिशन के ज़रिए भारत के पहले प्राइवेट अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला सहित AX-4 मिशन का दल अब धरती की ओर लौट रहा है। अनडॉकिंग की प्रक्रिया भारतीय समयानुसार 14 जुलाई को शाम 4:45 बजे पूरी हुई। स्पेसएक्स के इस मिशन को नासा और Axiom Space के साथ मिलकर अंजाम दिया जा रहा है।


शुभांशु शुक्ला के साथ मिशन कमांडर पैगी व्हिटसन, पायलट जॉन शॉफनर और मिशन विशेषज्ञ वालेंटाइन ओरोल्ड भी कैप्सूल में सवार हैं। यह मिशन लगभग 18 दिन का था, जिसमें दल ने अंतरिक्ष स्टेशन पर 60 से ज्यादा वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम दिया। शुभांशु शुक्ला ने इनमें से सात प्रयोगों का नेतृत्व किया जो भारत की अंतरिक्ष और वैज्ञानिक क्षमताओं को दर्शाते हैं। ये प्रयोग अंतरिक्ष में मानव शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों, माइक्रोबायोलॉजी, फ्लूड डायनामिक्स, और बायोमेडिकल विषयों से जुड़े थे।


13 जुलाई को ISS में AX-4 मिशन की विदाई के अवसर पर एक समारोह भी हुआ, जिसमें शुभांशु ने कबीर के दोहे सुनाए और "आज का भारत" का ज़िक्र करते हुए भारत की नई वैज्ञानिक दिशा की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक मिशन नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीयों के सपनों की उड़ान है।


अब ड्रैगन कैप्सूल 22 से 23 घंटे की यात्रा के बाद 15 जुलाई को दोपहर करीब 3 बजे धरती पर उतरेगा। यह उतराई प्रक्रिया अमेरिका के कैलिफोर्निया तट के पास समुद्र में होगी, जहां NASA और Axiom की संयुक्त टीम रिकवरी के लिए पहले से मौजूद रहेगी। स्पेसएक्स का ड्रैगन कैप्सूल स्वचालित प्रणाली से लैस है, जो वायुमंडल में घुसने, गर्मी झेलने, और पैराशूट की मदद से समुद्र में सुरक्षित उतरने की क्षमता रखता है।


इस मिशन को वैज्ञानिकों ने भारत के लिए ऐतिहासिक बताया है। शुभांशु शुक्ला उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं और उन्होंने ISRO के साथ मिलकर विशेष डेटा कलेक्शन मिशन भी इस दौरान संचालित किया। लखनऊ में उनके परिवार ने मंदिर जाकर पूजा की और शुभांशु की सुरक्षित वापसी के लिए प्रार्थना की।


AX-4 मिशन न केवल अंतरिक्ष में वैज्ञानिक शोध की दृष्टि से सफल रहा है, बल्कि यह भारत के प्राइवेट सेक्टर के अंतरिक्ष कार्यक्रमों को भी वैश्विक मंच पर स्थापित करता है। शुभांशु शुक्ला जैसे युवा वैज्ञानिकों की भागीदारी भविष्य में भारत के गगनयान मिशन और अन्य अंतरिक्ष प्रयासों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी। अब सबकी निगाहें 15 जुलाई को ड्रैगन कैप्सूल की वापसी पर हैं, जो इस ऐतिहासिक मिशन का अंतिम और सबसे भावनात्मक पड़ाव साबित होगा।

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