टीओआइ-1846बी - जल से भरी दूसरी धरती - जहां एक वर्ष में दिनों की संख्या - सिर्फ चार है

Jitendra Kumar Sinha
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"सुपर अर्थ" टीओआइ-1846बी (TOI-1846b) ग्रह का खोज न केवल रोमांचक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि पृथ्वी जैसी दुनिया कहीं और भी हो सकता है। लेकिन क्या यह सच में रहने लायक होगा? क्या वहां जीवन संभव है?  'सुपर अर्थ' शब्द का प्रयोग उन ग्रहों के लिए किया जाता है जो आकार में पृथ्वी से बड़ा होता है, लेकिन बहुत विशाल गैस ग्रहों (जैसे बृहस्पति) से छोटा। यह चट्टानी ग्रह हो सकता हैं, और इनमें से कुछ में वायुमंडल और पानी जैसी चीजें भी हो सकता है। टीओआइ-1846बी (TOI-1846b) इसी श्रेणी का एक ग्रह है। यह आकार में पृथ्वी से लगभग दो गुना और द्रव्यमान में चार गुना भारी है।

सुपर अर्थ की खोज मोरक्को के ऑकाडमेडेन लैब के खगोलविदों ने नासा की TESS (Transiting Exoplanet Survey Satellite) की मदद से की गई है। TESS एक अंतरिक्ष दूरबीन है, जिसे खासतौर पर सौरमंडल से बाहर के ग्रहों की खोज के लिए डिजाइन किया गया है। इसकी पुष्टि के लिए वैज्ञानिकों ने हाई रिजॉल्यूशन इमेजिंग, स्पेक्ट्रोस्कोपी और पाउंड बेस्ड कलर फोटोग्राफी जैसी आधुनिक तकनीकों का सहारा लिया है। खोज की गई जानकारी से यह स्पष्ट हुआ है कि यह ग्रह काफी पुराना है और इसमें भरपूर मात्रा में पानी की मौजूदगी के संकेत हैं।

टीओआइ-1846बी पृथ्वी से करीब 154 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। यह ग्रह एक तारे की परिक्रमा करता है जो आकार में सूर्य जैसा है, लेकिन द्रव्यमान में सूर्य से थोड़ा हल्का (लगभग 0.42 सौर द्रव्यमान) है। इसका मतलब यह हुआ कि उस तारे से ऊर्जा और गर्मी का प्रवाह सूर्य की तुलना में कुछ कम है, लेकिन फिर भी यह ग्रह काफी गर्म है।

टीओआइ-1846बी की सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि वहां एक साल में सिर्फ चार दिन होते हैं। यानि यह ग्रह अपने तारे की परिक्रमा सिर्फ चार पृथ्वी दिनों में पूरी कर लेता है। इसका मतलब है कि यह तारे के बेहद पास स्थित है, जिससे ग्रह की सतह पर अत्यधिक गर्मी रहता है।

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस ग्रह की सतह का तापमान लगभग 568 केल्विन (यानि करीब 295 डिग्री सेल्सियस) है। यह तापमान इतना अधिक है कि यहां पारंपरिक जीवन (जैसा कि हम पृथ्वी पर जानते हैं) की संभावना लगभग शून्य है। ग्रह पर पानी की भरपूर मात्रा होने की पुष्टि हुई है, लेकिन इतनी गर्मी में पानी संभवतः वाष्प रूप में होगा या बहुत उच्च दबाव पर तरल अवस्था में। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस ग्रह का वायुमंडल अभी पूरी तरह से अध्ययन के लिए शेष है।

एक और रोचक तथ्य यह है कि टीओआइ-1846बी की उम्र लगभग 7.2 अरब वर्ष आंकी गई है, जो पृथ्वी (लगभग 4.5 अरब वर्ष पुरानी) से कहीं ज्यादा है। इसका मतलब है कि यह ग्रह ब्रह्मांड के प्रारंभिक काल में बना होगा। यह जानकारी खगोल विज्ञान की उस अवधारणा को और मजबूत करता है कि जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियां समय के साथ बदलती हैं और एक ग्रह पर जीवन लंबे समय तक रह पाता है या नहीं, यह कई फैक्टरों पर निर्भर करता है।

पृथ्वी जैसे ग्रहों की खोज करना सिर्फ विज्ञान की जिज्ञासा नहीं है, यह भविष्य में मानव जाति के अस्तित्व से भी जुड़ा हुआ है। जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और जनसंख्या विस्फोट के चलते वैज्ञानिक यह मानते हैं कि भविष्य में पृथ्वी के बाहर जीवन की तलाश करना पड़ सकता है।

टीओआइ-1846बी भले ही जीवन के लिए उपयुक्त न हो, लेकिन यह दिखाता है कि पृथ्वी जैसी दुनिया कहीं और भी मौजूद हो सकता है। और अगर ऐसा है, तो संभव है कि कहीं जीवन भी हो।

2025 की शुरुआत में वैज्ञानिकों ने एक और सुपर अर्थ – HD 20794 d का खोज किया था। यह ग्रह पृथ्वी से करीब 20 प्रकाश वर्ष दूर है और इसका द्रव्यमान पृथ्वी से छह गुना ज्यादा है। इसकी कक्षा गोल नहीं है, जिससे तापमान में भारी उतार-चढ़ाव होता है। इस कारण वहां जीवन की संभावना भी काफी कम है। लेकिन फिर भी इस खोज से यह सिद्ध होता है कि ब्रह्मांड में ऐसे ग्रहों की संख्या कम नहीं है।

सुपर अर्थ जैसे ग्रहों की खोज वैज्ञानिकों को पृथ्वी की तुलना करने और ग्रहों की विविधता समझने में मदद करता है। लेकिन हर खोज में चुनौतियां भी होता हैं। तापमान- अधिकतर सुपर अर्थ बहुत गर्म होता है। दूरी- यह ग्रह बहुत दूर स्थित होता है, जिससे इन पर यान भेजना फिलहाल संभव नहीं है। वायुमंडल की अस्पष्टता- कई बार इन ग्रहों का वायुमंडल इतना घना होता है कि उनके अंदर की संरचना का अनुमान लगाना कठिन हो जाता है।

वैज्ञानिक भविष्य में कई अंतरिक्ष मिशनों की योजना बना रहे हैं जिनमें और अधिक उन्नत टेलिस्कोप और उपकरणों की मदद से ऐसे ग्रहों का और गहराई से अध्ययन किया जा सकेगा। इनमें प्रमुख हैं जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप-  यह पहले से ही सैकड़ों ग्रहों की संरचना और वातावरण का विश्लेषण कर रहा है। ARIEL मिशन (ESA)- 2029 में लॉन्च होने वाला यह मिशन एक्सोप्लैनेट्स के वायुमंडल की जांच करेगा। LUVOIR और HABEX (NASA के प्रस्तावित मिशन)- जो सीधे तौर पर पृथ्वी जैसे जीवन योग्य ग्रहों की खोज पर केंद्रित होगा।

टीओआइ-1846बी जैसे ग्रह इस बात के संकेत है कि ब्रह्मांड में पृथ्वी जैसी संरचना वाले ग्रह मौजूद हैं। वहां जीवन की संभावना कम है, लेकिन हर खोज ब्रह्मांड को और बेहतर समझने की ओर ले जाता है। यह खोज इस बात का  गवाही है कि हम एक विशाल ब्रह्मांड का हिस्सा हैं, जहां अभी तक अनगिनत रहस्य छिपा हुआ हैं। 



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