पटना सहित पूरे बिहार में चुनाव आयोग ने 50 लाख से अधिक मतदाताओं की वोटर लिस्ट को अपडेट करने और सत्यापित करने का विशेष अभियान शुरू कर दिया है। इस विशेष अभियान के तहत बूथ स्तर के अधिकारी घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी का सत्यापन कर रहे हैं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मतदाता सूची में केवल योग्य और वास्तविक नागरिकों के नाम ही दर्ज हों।
इस अभियान के दौरान उन लोगों को चिन्हित किया जा रहा है जिनका नाम वर्ष 2003 की आधार सूची में दर्ज नहीं है। ऐसे लोगों को अपनी नागरिकता और जन्म का प्रमाण प्रस्तुत करना होगा। वहीं जिनके माता या पिता का नाम 2003 की सूची में शामिल है, उन्हें केवल निर्धारित फॉर्म भरना होगा, और कोई दस्तावेज देने की आवश्यकता नहीं है।
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह कोई नया मतदाता सूची अभियान नहीं है, बल्कि यह पहले से मौजूद सूची को स्वच्छ और सटीक बनाने का प्रयास है। प्रारंभिक ड्राफ्ट सूची में किसी का नाम नहीं हटाया जाएगा जब तक कि उचित जांच न हो जाए।
हालाँकि इस अभियान को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी शुरू हो गए हैं। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि यह अभियान धांधली और एक वर्ग विशेष को मतदाता सूची से बाहर करने की साजिश हो सकती है। कांग्रेस नेता अशोक गहलोत और कृष्णा अल्लावरु ने पटना पहुँचकर चुनाव आयोग से इस प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने की मांग की। उन्होंने यह भी कहा कि आम लोगों में इस प्रक्रिया को लेकर भ्रम है जिसे दूर किया जाना चाहिए।
दिग्विजय सिंह ने इस अभियान को अव्यवहारिक और अन्यायपूर्ण बताया, खासकर इस वर्षा ऋतु में जब कई इलाकों में जलजमाव और पहुंच की समस्या है। उन्होंने कहा कि केवल 30 दिनों की अवधि में लाखों लोगों की जानकारी जुटाना और उन्हें सत्यापित करना कठिन होगा।
इस सबके बीच चुनाव आयोग अपने रुख पर कायम है। उसका कहना है कि यह कदम संविधान के अनुच्छेद 326 के अंतर्गत लिया गया है, ताकि केवल योग्य भारतीय नागरिकों को मतदान का अधिकार मिले और फर्जी नामों को सूची से हटाया जा सके।
पटना सहित पूरे बिहार में यह अभियान 30 दिनों तक चलेगा और इसमें लाखों लोग शामिल होंगे। आयोग ने सभी जिलों को निर्देश जारी कर दिए हैं और मतदाताओं से सहयोग की अपील की है।
यह अभियान आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए मतदाता सूची की सटीकता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन इसके राजनीतिक प्रभाव और लोगों की प्रतिक्रिया को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आने वाले हफ्तों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह प्रक्रिया कितनी पारदर्शी और प्रभावी साबित होती है।
