भारतीय तांत्रिक परंपरा में "दस महाविद्याओं" का विशेष महत्व है, और इन दस महाविद्याओं में मां बगलामुखी की भूमिका सबसे रहस्यमयी तथा प्रभावशाली माना जाता है। उन्हें स्तम्भन शक्ति की अधिष्ठात्री देवी कहा जाता है यानि ऐसी शक्ति जो शत्रु की वाणी, विचार और कार्य को स्थिर कर देती है। मां बगलामुखी की साधना विशेष रूप से उन लोगों के लिए अत्यंत फलदायक माना जाता है, जो न्यायिक, राजनीतिक, शत्रु या दुष्ट प्रवृत्तियों से पीड़ित होते हैं।
बगलामुखी देवी की उत्पत्ति की कहानी देवी पुराण तथा तंत्रशास्त्रों में विस्तार से मिलता है। मान्यता है कि एक समय त्रिलोक में भयंकर तूफान उठ खड़ा हुआ था, जिससे सारा संतुलन बिगड़ गया था। ब्रह्मा जी ने जब ध्यान किया, तो पीतांबरा वस्त्र धारण किए एक अद्भुत देवी प्रकट हुईं और उन्होंने अपनी स्तम्भन शक्ति से उस तूफान को थमा दिया। यही देवी आगे चलकर बगलामुखी कहलाईं।
‘बगला’ शब्द संस्कृत के ‘वल्गा’ से निकला है, जिसका अर्थ होता है बांधना या रोकना। वहीं ‘मुखी’ का अर्थ होता है मुख (वाणी) से जुड़ी शक्ति। इस प्रकार बगलामुखी का तात्पर्य हुआ- वाणी, सोच और कर्म को रोकने वाली शक्ति।
मां बगलामुखी का स्वरूप अत्यंत विशिष्ट है। देवी पीले वस्त्रों में, पीले आभूषणों से सुसज्जित रहती हैं। उनका आसन कमल का होता है, और हाथों में एक हाथ से शत्रु की जीभ पकड़ती हैं तथा दूसरे से गदा से प्रहार करती हैं। उनके साथ एक शत्रु मुद्रा में दिखता है, जिसकी जीभ देवी ने पकड़ रखी होती है। यह प्रतीक है- शत्रु की वाणी को वश में करना और उसके बुरे कार्यों का नाश करना।
मां बगलामुखी की साधना से व्यक्ति की वाणी, बुद्धि और विचार को स्थिर किया जा सकता है। विशेषकर शत्रु अगर कोर्ट केस या राजनीतिक षड्यंत्र में घेर रहा हो, तो बगलामुखी की कृपा से उसकी वाणी स्तब्ध हो जाती है।
वाणी से जुड़े पेशों जैसे वकील, नेता, शिक्षक, वक्ता या न्यायाधीशों के लिए बगलामुखी साधना अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।
तंत्रशास्त्र में बगलामुखी को उन देवी रूपों में गिना गया है, जिनकी साधना से अभिचार (तांत्रिक क्रियाएं), मारण, उच्चाटन, मोहन आदि कार्य भी सिद्ध किया जाता हैं, लेकिन केवल धर्मपूर्ण उद्देश्य के लिए।
यदि कोई निर्दोष व्यक्ति न्याय के लिए संघर्ष कर रहा हो, और सामने वाला पक्ष पैसे, ताकत या प्रभाव के कारण जीत रहा हो, तो मां बगलामुखी की साधना, वाणी और तर्क की ऐसी शक्ति देती है, कि न्यायाधीश स्वयं सही दिशा में निर्णय देने को विवश हो जाता है।
राजनीति में विरोधियों की चालों, अफवाहों, और मानसिक युद्धों से बचने के लिए बगलामुखी की साधना मानसिक स्थिरता, प्रभावशाली वाणी और निर्णायक नेतृत्व क्षमता देती है।
बगलामुखी का मंत्र जप और यंत्र पूजन शत्रु की ऊर्जा को निष्क्रिय कर देता है। उसका षड्यंत्र, झूठा प्रचार, गलत मुकदमे सभी पराजित हो जाते हैं।
बगुलामुखी के साधक पीले वस्त्र पहनकर, पीले आसन पर बैठकर, पीले पुष्पों से मां की पूजा करता है और 108 या 1008 मंत्र जाप करता है।
बगलामुखी यंत्र को भोजपत्र पर स्वर्ण या रक्त चंदन से बनाकर, उसे पूजा स्थान पर स्थापित किया जाता है। यह यंत्र स्तम्भन का प्रतीक है।
विशेष अवसरों पर पीले चावल, हल्दी, घी, और चंदन से विशेष हवन किया जाता है, जिसमें बगलामुखी के बीज मंत्र का जाप होता है।
बगलामुखी बीज मंत्र:
“ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा।”
इस मंत्र के जप से शत्रु की वाणी और शक्ति निष्प्रभावी हो जाता है।
साधना के लिए समय- अमावस्या, मंगलवार, नवरात्रि, बगलामुखी जयंती, या गुरु पुष्य योग श्रेष्ठ होता। स्थान- एकांत और शांत स्थान, घर का पूजा कक्ष या किसी पीठ का विशेष स्थल होना चाहिए। रंग- पीला रंग सर्वोत्तम माना गया है, वस्त्र, पुष्प, आसन और आहूति में पीत वर्ण होना चाहिए। व्रत- साधक को साधना अवधि में सात्त्विक रहना चाहिए और मानसिक पवित्रता बनाए रखनी चाहिए।
मां बगलामुखी का प्रसिद्ध मंदिरों में बगलामुखी पीठ, दतिया (मध्य प्रदेश)- भारत का सबसे प्रसिद्ध शक्तिपीठ है, जहां न्यायिक और राजनीतिक लोगों का भारी भीड़ रहता है। बगलामुखी मंदिर, कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)- यहां मां का अत्यंत प्राचीन और जागृत मंदिर है, जहां अमावस्या को विशेष साधना होता है। बगलामुखी मंदिर, नालगढ़ (हिमाचल)- पर्वतीय क्षेत्र में स्थित यह मंदिर साधना के लिए आदर्श स्थान माना गया है।
अगर तंत्र की भाषा को आधुनिक मनोविज्ञान से जोड़ें, तो बगलामुखी एक ऐसी मानसिक शक्ति है जो आत्म-संयम सिखाती है। मन को स्थिर और शत्रु की वाणी को शांत करती है। भय, भ्रम और तनाव को स्तब्ध करके आत्मबल प्रदान करती है।
बगलामुखी साधना बहुत ही प्रभावशाली होता है, अतः इसे कभी भी अन्यायपूर्ण उद्देश्यों के लिए प्रयोग नही करना चाहिए। सिद्ध साधक की देखरेख में ही उच्च स्तरीय साधनाएं करना चाहिए। मंत्रों का उच्चारण शुद्ध और निष्ठा से करना चाहिए।
मां बगलामुखी की साधना केवल बाहरी शत्रुओं पर विजय का माध्यम नहीं है, बल्कि यह एक आंतरिक अनुशासन है, अपनी वाणी, विचार और कार्य पर नियंत्रण प्राप्त करना। बगलामुखी साधना उस शक्ति का प्रतीक है जो दूसरों को नहीं, बल्कि पहले अपने भीतर के विकारों को स्तब्ध करता है।
जो साधक मां की इस शक्ति को सही उद्देश्य से अपनाता है, उसके लिए कोई कोर्ट केस, राजनीतिक विरोध या बाहरी बाधा बड़ी नहीं रह जाती है।