तंत्र विद्या और काले जादू का अंतर: मिथक बनाम तथ्य

Jitendra Kumar Sinha
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भारतीय परंपरा में तंत्र एक अत्यंत रहस्यमयी और शक्तिशाली शाखा है, लेकिन दुर्भाग्यवश आमजन में इसे अक्सर ‘काला जादू’ के रूप में देखा जाता है। जैसे ही कोई ‘तंत्र’ शब्द सुनता है, उसके ज़हन में डरावने चेहरे, नींबू-मिर्च, श्मशान, और किसी को नुकसान पहुंचाने वाली ताकतें घूमने लगती हैं। लेकिन हकीकत इससे कहीं अलग और कहीं ज़्यादा गहरी है।


तंत्र क्या है?
तंत्र एक वैदिक प्रणाली है जो सृष्टि, ऊर्जा और चेतना के रहस्यों को समझने और साधना द्वारा उन्हें अनुभव करने का मार्ग है। यह केवल पूजा-पाठ या मंत्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति की आत्मिक और मानसिक उन्नति का विज्ञान है। तंत्र में शिव-शक्ति की उपासना, चक्रों का ज्ञान, ध्यान, मंत्र-सिद्धि, यंत्र और कर्मकांड शामिल होते हैं। इसका उद्देश्य होता है – आत्मबोध और मोक्ष की प्राप्ति। यह एक बेहद अनुशासित और उच्च आध्यात्मिक मार्ग है।


काला जादू क्या है?
वहीं काला जादू, या कहें कि नकारात्मक ऊर्जा का उपयोग, किसी को हानि पहुंचाने, वश में करने, बीमार करने या नियंत्रित करने जैसी दुर्भावनाओं से प्रेरित कर्म होते हैं। इसमें अक्सर तांत्रिक क्रियाओं का विकृत और अधूरा रूप अपनाया जाता है। इसमें तंत्र के तत्वों का दुरुपयोग किया जाता है – जैसे मंत्रों को गलत उद्देश्यों से प्रयोग करना, श्मशान में बिना विधि के प्रयोग करना आदि।


तो लोग भ्रमित क्यों होते हैं?

इस भ्रम के पीछे कुछ ठोस कारण हैं:

  • फिल्मों और टीवी धारावाहिकों ने तंत्र को डरावना दिखाया है। हर बार जब कोई तांत्रिक पर्दे पर आता है, तो उसके हाथ में खोपड़ी, शरीर पर राख, और आंखों में क्रूरता होती है। इससे लोगों को लगता है कि तंत्र = डर = काला जादू।


  • कुछ तांत्रिकों ने खुद ही तंत्र का दुरुपयोग करके काले जादू को बढ़ावा दिया। इसके कारण लोगों में यह धारणा बन गई कि तंत्र सिर्फ दूसरों को नुकसान पहुंचाने के लिए होता है।

  • ज्ञान की कमी और अंधविश्वास का बोलबाला। जब व्यक्ति आधे-अधूरे ज्ञान के साथ किसी चीज़ से जुड़ता है, तो वह भ्रम और डर को जन्म देता है।

  • समाज में गुप्त रूप से प्रयोग होने वाली शक्तियों को सहज समझ पाना कठिन है। तंत्र एक गूढ़ विद्या है, जिसकी भाषा, प्रक्रिया और साधना आम इंसान को जटिल लगती है – इसलिए वह इसे गलत समझ बैठता है।



तंत्र और काला जादू को एक-दूसरे का पर्याय मानना वैसा ही है जैसे डॉक्टर और कसाई को एक समझना। तंत्र एक शक्तिशाली साधना है – ठीक उसी तरह जैसे अग्नि। अग्नि से आप खाना भी बना सकते हैं और किसी का घर भी जला सकते हैं – यह आपकी नीयत पर निर्भर करता है।

समाज में जरूरी है कि हम सही जानकारी को बढ़ावा दें, अंधविश्वास और डर को नहीं। तंत्र का अभ्यास सद्भाव, शुद्ध उद्देश्य और अनुभवी गुरु की छाया में किया जाए तो यह जीवन को समृद्ध, शक्तिशाली और आत्मिक रूप से ऊँचा बना सकता है। काले जादू से डरें नहीं, बल्कि तंत्र की सही समझ को अपनाएं और आध्यात्मिकता की उस रहस्यमयी गहराई में उतरें जो हमारे ऋषियों ने हमें उपहार में दी है।


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