भारतीय परंपरा में तंत्र एक अत्यंत रहस्यमयी और शक्तिशाली शाखा है, लेकिन दुर्भाग्यवश आमजन में इसे अक्सर ‘काला जादू’ के रूप में देखा जाता है। जैसे ही कोई ‘तंत्र’ शब्द सुनता है, उसके ज़हन में डरावने चेहरे, नींबू-मिर्च, श्मशान, और किसी को नुकसान पहुंचाने वाली ताकतें घूमने लगती हैं। लेकिन हकीकत इससे कहीं अलग और कहीं ज़्यादा गहरी है।
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फिल्मों और टीवी धारावाहिकों ने तंत्र को डरावना दिखाया है। हर बार जब कोई तांत्रिक पर्दे पर आता है, तो उसके हाथ में खोपड़ी, शरीर पर राख, और आंखों में क्रूरता होती है। इससे लोगों को लगता है कि तंत्र = डर = काला जादू।
- कुछ तांत्रिकों ने खुद ही तंत्र का दुरुपयोग करके काले जादू को बढ़ावा दिया। इसके कारण लोगों में यह धारणा बन गई कि तंत्र सिर्फ दूसरों को नुकसान पहुंचाने के लिए होता है।
- ज्ञान की कमी और अंधविश्वास का बोलबाला। जब व्यक्ति आधे-अधूरे ज्ञान के साथ किसी चीज़ से जुड़ता है, तो वह भ्रम और डर को जन्म देता है।
- समाज में गुप्त रूप से प्रयोग होने वाली शक्तियों को सहज समझ पाना कठिन है। तंत्र एक गूढ़ विद्या है, जिसकी भाषा, प्रक्रिया और साधना आम इंसान को जटिल लगती है – इसलिए वह इसे गलत समझ बैठता है।
समाज में जरूरी है कि हम सही जानकारी को बढ़ावा दें, अंधविश्वास और डर को नहीं। तंत्र का अभ्यास सद्भाव, शुद्ध उद्देश्य और अनुभवी गुरु की छाया में किया जाए तो यह जीवन को समृद्ध, शक्तिशाली और आत्मिक रूप से ऊँचा बना सकता है। काले जादू से डरें नहीं, बल्कि तंत्र की सही समझ को अपनाएं और आध्यात्मिकता की उस रहस्यमयी गहराई में उतरें जो हमारे ऋषियों ने हमें उपहार में दी है।
