क्रिएटिन – यह नाम सुनते ही बहुत से लोगों के मन में डर बैठ जाता है। कोई कहता है कि यह स्टेरॉयड है, कोई बोलता है कि इससे किडनी खराब हो जाएगी, और कुछ लोग इसे सिर्फ बॉडीबिल्डिंग से जोड़ देते हैं। लेकिन हकीकत यह है कि क्रिएटिन दुनिया के सबसे ज़्यादा रिसर्च किए गए और सुरक्षित सप्लिमेंट्स में से एक है। यह शरीर में प्राकृतिक रूप से बनता है और खाने (जैसे मीट और मछली) से भी मिलता है। फिर भी, समाज में इसके बारे में गलतफहमियाँ भरी पड़ी हैं।
सबसे आम भ्रम यह है कि क्रिएटिन स्टेरॉयड है। जबकि सच्चाई यह है कि क्रिएटिन एक अमीनो एसिड से बना कंपाउंड है जो मांसपेशियों में ऊर्जा के लिए फॉस्फेट जमा करता है। यह टेस्टोस्टेरोन या किसी भी हार्मोन जैसा नहीं है। दूसरा बड़ा भ्रम यह है कि क्रिएटिन से किडनी खराब हो सकती है। लेकिन ढेरों स्टडीज़ से यह सिद्ध हो चुका है कि यदि आपकी किडनी पहले से स्वस्थ है, तो रोज़ 3-5 ग्राम क्रिएटिन लेने से कोई नुकसान नहीं होता।
कई लोग यह भी सोचते हैं कि इससे शरीर में पानी भर जाता है और हम "फुले हुए" दिखने लगते हैं। असल में, क्रिएटिन मसल सेल्स में पानी ले जाता है, जिससे वे बेहतर हाइड्रेटेड होती हैं और प्रदर्शन बढ़ता है। ये पानी मसल्स के अंदर रहता है, न कि स्किन के नीचे फैट की तरह। लोडिंग फेज़ को लेकर भी भ्रम है — लोग मानते हैं कि पहले कुछ दिनों तक 20 ग्राम लेना जरूरी है। पर हकीकत यह है कि आप रोज़ सिर्फ 3–5 ग्राम लेकर भी समान फायदे पा सकते हैं — बस असर थोड़ा धीरे दिखेगा।
और हाँ, यह सिर्फ बॉडीबिल्डर्स या पुरुषों के लिए नहीं है। महिलाएं भी इसका सुरक्षित उपयोग कर सकती हैं — यह मांसपेशी क्षमता, रिकवरी और मानसिक फोकस को बेहतर करता है। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि इससे बाल झड़ते हैं, लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। 2009 की एक स्टडी में DHT बढ़ने की बात कही गई थी, लेकिन उसके बाद कोई ठोस सबूत नहीं मिले।
दरअसल, क्रिएटिन केवल मसल्स बढ़ाने का जरिया नहीं है — यह ब्रेन फंक्शन, रिकवरी, बुजुर्गों में मांसपेशियों के नुकसान को रोकने और स्पोर्ट्स परफॉर्मेंस में मदद करता है।
सच्चाई यह है कि डर और भ्रांति, जानकारी की कमी से पैदा होते हैं। क्रिएटिन एक सुरक्षित, सस्ता और असरदार सप्लिमेंट है — बशर्ते आप सही मात्रा लें, खूब पानी पिएं और अपनी सेहत का ध्यान रखें। सोच को मजबूत बनाइए, सिर्फ मसल्स नहीं।
