संसद के आगामी मानसून सत्र से पहले इंडिया गठबंधन ने एक वर्चुअल बैठक कर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई। इस बैठक में 24 विपक्षी दलों ने हिस्सा लिया, हालांकि आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस जैसे प्रमुख दल इसमें शामिल नहीं हुए। इस बैठक का मकसद था कि संसद सत्र में केंद्र सरकार को ठोस और एकजुट विपक्ष के तौर पर कड़ा जवाब दिया जाए।
बैठक में विपक्ष ने आठ अहम मुद्दों पर सरकार को घेरने का फैसला किया। इनमें जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और खुफिया तंत्र की विफलता, ऑपरेशन सिंदूर के बाद अचानक युद्धविराम और ट्रम्प के बयान, बिहार में वोटर लिस्ट से दलितों और अल्पसंख्यकों को हटाने का आरोप, केंद्र की विदेश नीति की आलोचना (खासतौर पर चीन और गाजा को लेकर), देश में हो रहे परिसीमन की प्रक्रिया, दलितों, आदिवासियों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार, अहमदाबाद में विमान हादसे की निष्पक्ष जांच की मांग और केंद्र की एजेंसियों का दुरुपयोग (जैसे ED, EC, पेगासस) जैसे मुद्दे प्रमुख हैं।
बैठक में कांग्रेस की ओर से मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी मौजूद थे। राहुल गांधी ने इस दौरान कहा कि जनता को बताने की जरूरत है कि बीजेपी किस तरह देश के लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ काम कर रही है। सीपीआई के नेता डी. राजा ने राहुल की कुछ टिप्पणियों पर आपत्ति जताई, लेकिन इसे सौहार्दपूर्ण माहौल में सुलझा लिया गया।
विपक्षी दलों ने संसद में एकजुटता बनाए रखने पर सहमति जताई। रणनीति के तहत तय हुआ कि सभी विपक्षी सांसद संसद के भीतर और बाहर एकजुटता के साथ केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध करेंगे और जनहित के मुद्दे उठाएंगे। सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक और संसद से लेकर प्रेस तक, हर जगह विपक्ष अपनी आवाज बुलंद करेगा।
वहीं, केंद्र सरकार भी पूरी तैयारी के साथ मैदान में है। उसने 21 जुलाई से शुरू हो रहे सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक बुलाई है जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी जैसे वरिष्ठ मंत्री विपक्ष की रणनीति को बेअसर करने की योजना पर चर्चा कर रहे हैं। सरकार इस सत्र में आठ नए विधेयक पेश करने की तैयारी में है।
मानसून सत्र में टकराव के पूरे आसार हैं। एक तरफ विपक्ष सरकार पर संवैधानिक संस्थाओं के दुरुपयोग और जनहित की अनदेखी के आरोप लगा रहा है, वहीं सरकार इसे विकास विरोधी राजनीति बता रही है। अब देखना होगा कि संसद का यह सत्र बहस और लोकतंत्र की गरिमा को ऊंचा करता है या हंगामे और टकराव की भेंट चढ़ जाता है।
