राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में गुरुवार सुबह एक बड़ा हादसा हो गया। सुबह की प्रार्थना सभा के समय अचानक स्कूल की पुरानी और जर्जर छत भरभरा कर गिर पड़ी। उस समय कक्षा में करीब 50 से अधिक छात्र मौजूद थे। अचानक हुए इस हादसे से पूरे गांव में अफरा-तफरी मच गई। स्थानीय लोगों, स्कूल स्टाफ और प्रशासन ने तुरंत राहत व बचाव कार्य शुरू किया।
प्राथमिक जानकारी के अनुसार हादसे में चार बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 17 से अधिक छात्र घायल हो गए। कई बच्चों की हालत गंभीर बताई जा रही है। घायलों को नजदीकी मनोहरथाना सीएचसी और झालावाड़ जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। कुछ बच्चों को गंभीर हालत में कोटा और अन्य बड़े अस्पतालों के लिए रेफर किया गया।
हादसे की जानकारी मिलते ही प्रशासन में हड़कंप मच गया। जिला कलेक्टर, एसपी और अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे और राहत कार्यों का जायजा लिया। जेसीबी मशीन से मलबा हटाया गया और फंसे हुए बच्चों को निकाला गया। ग्रामीणों और परिजनों की भारी भीड़ स्कूल परिसर में जमा हो गई, माहौल बेहद गमगीन और तनावपूर्ण हो गया।
स्थानीय लोगों का कहना है कि स्कूल भवन काफी पुराना और जर्जर हालत में था। कई बार इसकी शिकायत शिक्षा विभाग और प्रशासन से की गई थी, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। बारिश के चलते छत पहले से ही कमजोर हो गई थी और इसी दौरान यह दर्दनाक हादसा हो गया।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया है और मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की घोषणा की है। साथ ही दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य के सभी पुराने सरकारी स्कूल भवनों की तत्काल जांच कराई जाएगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
यह हादसा सरकारी तंत्र की लापरवाही का एक और उदाहरण बन गया है, जहां बच्चों की जानें एक जर्जर भवन की छत के नीचे दफन हो गईं। grieving परिजनों की चीख-पुकार और बच्चों की खामोश चिताएं इस बात की गवाही दे रही हैं कि समय रहते कदम उठाए गए होते तो शायद यह मंजर न देखना पड़ता।
