सुप्रीम कोर्ट में ‘XXX’ बने जस्टिस यशवंत वर्मा: अपनी ही याचिका में क्यों छुपाई पहचान?

Jitendra Kumar Sinha
0


जब न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की, तो उसमें उन्होंने अपनी पहचान “XXX” के रूप में छिपाई, जिसने कानूनी हलकों और मीडिया में हलचल मचा दी। आमतौर पर सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट में “XXX बनाम भारत संघ” जैसे नाम तभी प्रयुक्त होते हैं जब मामला यौन उत्पीड़न, नाबालिगों, या गहन गोपनीयता की मांग करने वाले किसी विशेष विषय से जुड़ा हो। लेकिन जस्टिस वर्मा का मामला इस श्रेणी में नहीं आता, फिर भी उन्होंने यही तरीका अपनाया।


यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में सिविल रिट याचिका संख्या 699/2025 के रूप में दर्ज की गई, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ गठित इन‑हाउस जांच समिति की रिपोर्ट को चुनौती दी है। यह वही रिपोर्ट है जिसमें उनके आधिकारिक आवास से नकद मिलने और कथित अनियमितताओं को लेकर जांच की गई थी। याचिका में उन्होंने तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा उनके खिलाफ संसद में महाभियोग चलाने की सिफारिश को भी असंवैधानिक करार देते हुए रद्द करने की मांग की है।


याचिका पहले 17 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में दाखिल हुई थी, लेकिन उसमें कुछ त्रुटियाँ थीं। इन्हें ठीक कर 24 जुलाई को फिर से फाइल किया गया। सुनवाई के लिए इसे न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया है। इस याचिका के अलावा वकील मैथ्यूज जे नेदुम्पारा की एक याचिका भी न्यायालय में लंबित है, जिसमें उन्होंने इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग की है और कहा है कि वर्मा के आवास से नकदी मिलने, फिर आग लगने और तथ्यों के गायब हो जाने की घटनाएँ बेहद रहस्यमयी हैं और इनमें आपराधिक साजिश की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।


वर्मा की याचिका में यह मुख्य दलील दी गई है कि इन‑हाउस जांच समिति की प्रक्रिया न केवल असंवैधानिक थी, बल्कि उसमें उन्हें अपनी बात रखने या सही तरीके से बचाव करने का अवसर भी नहीं मिला। उन्होंने यह भी कहा कि जांच में जो मानक अपनाए गए वे न्याय के मूल सिद्धांतों के विरुद्ध थे। आरोपों की पुष्टि के लिए सबूत देने का बोझ उनके ऊपर डाल दिया गया, जबकि सिद्धांततः यह जिम्मेदारी आरोप लगाने वाले पक्ष की होनी चाहिए थी।


इस पूरी याचिका में उनकी पहचान छुपाना कई सवाल खड़े करता है। क्या यह केवल कानूनी रणनीति थी, या कोई गहरी साजिश छुपाने की कोशिश? सुप्रीम कोर्ट अब इस पर क्या रुख अपनाता है, यह देखना दिलचस्प होगा।

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top