शुभमन गिल ने इंग्लैंड के खिलाफ चौथे टेस्ट मैच के बाद एक बयान में स्पष्ट किया कि रविंद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर ने अंतिम दिन हाथ मिलाकर मैच ड्रॉ करने से इनकार क्यों किया। इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने 15 ओवर पहले हाथ मिलाने का प्रस्ताव रखा था, जब सुंदर और जडेजा नब्बे के पार थे और टेस्ट शतक के करीब पहुंच चुके थे। दोनों बल्लेबाज़ों ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया और खेल जारी रखा, जिससे यह सवाल खड़ा हुआ कि खेल की भावना का उल्लंघन हुआ या नहीं।
मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में शुभमन गिल ने कहा कि यह फैसला दोनों बल्लेबाजों ने खुद लिया था। गिल ने कहा, “दोनों खिलाड़ी शानदार बल्लेबाज़ी कर रहे थे। वे नब्बे के पार थे और शतक के पूरी तरह हकदार थे। हम सबने महसूस किया कि उन्हें ये उपलब्धि हासिल करनी चाहिए। एक टेस्ट शतक टेस्ट शतक होता है, इसका अपना ही सम्मान होता है।” गिल ने यह भी साफ किया कि यह निर्णय प्रबंधन या ड्रेसिंग रूम से नहीं आया, बल्कि मैदान पर मौजूद बल्लेबाजों की अपनी समझदारी का परिणाम था।
जडेजा और सुंदर दोनों अंत तक नाबाद रहे — जडेजा ने 107 और सुंदर ने 100 रन पूरे किए। उनकी इस साझेदारी ने इंग्लैंड की जीत की संभावनाओं को खत्म कर दिया और मैच ड्रॉ पर समाप्त हुआ। कुछ क्रिकेट विशेषज्ञों और इंग्लैंड के खिलाड़ियों ने इस कदम को खेल भावना के खिलाफ बताया, जबकि भारत में प्रशंसकों और विश्लेषकों ने जडेजा और सुंदर के निर्णय का समर्थन किया।
इस पूरे घटनाक्रम ने क्रिकेट में ‘स्पिरिट ऑफ द गेम’ यानी खेल भावना को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। शुभमन गिल के बयान ने साफ कर दिया कि खिलाड़ियों ने अपने फैसले खुद लिए और टेस्ट क्रिकेट में व्यक्तिगत उपलब्धियों को उचित सम्मान देना चाहिए।
