कर्नाटक के हासन जिले में मई के आखिरी हफ्ते से जून के अंत तक 20 युवाओं की अचानक हार्ट अटैक से मौत ने राज्य में हलचल मचा दी है। इन मौतों में सबसे चिंताजनक बात यह रही कि इनमें से 9 लोग 30 साल से भी कम उम्र के थे और उनमें से ज्यादातर को कोई पुरानी बीमारी या हार्ट से जुड़ा लक्षण नहीं था। एक स्वस्थ, युवा व्यक्ति की अचानक मौत ने आम जनता के बीच डर पैदा कर दिया है और इस पर राजनीतिक और वैज्ञानिक बहस भी शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इन मौतों की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की है और 10 दिन के भीतर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि इन मामलों में COVID-19 वैक्सीन के प्रभाव को पूरी तरह नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। उनका कहना था कि वैक्सीन को जल्दबाजी में मंजूरी दी गई और उसे बिना पर्याप्त परीक्षण के आम जनता को दे दिया गया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ अध्ययनों में भी वैक्सीन और हार्ट संबंधी समस्याओं के बीच संबंध की बात सामने आई है।
सिद्धारमैया ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे इस गंभीर स्वास्थ्य मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं जबकि यह विषय वैज्ञानिक अध्ययन और लोगों की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। उन्होंने यह भी बताया कि फरवरी में उन्होंने राज्यभर में वैक्सीन के बाद युवाओं की मौतों पर अध्ययन शुरू करने के लिए कहा था। मुख्यमंत्री के बयान के एक दिन बाद ही केंद्र सरकार ने उनका दावा खारिज कर दिया और इसे झूठा और भ्रामक करार दिया। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि इस तरह के बयान वैक्सीन को लेकर झिझक पैदा कर सकते हैं और लोगों की जान जोखिम में डाल सकते हैं। मंत्रालय ने दो प्रमुख वैज्ञानिक अध्ययनों का हवाला दिया है जिनमें यह साफ किया गया है कि COVID-19 वैक्सीन और हार्ट अटैक के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है।
ICMR की नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी (NIE) ने देश के 19 राज्यों के 47 अस्पतालों में 18 से 45 वर्ष के युवाओं की अचानक हुई मौतों का विश्लेषण किया और पाया कि इनमें वैक्सीन की कोई भूमिका नहीं है। वहीं AIIMS और ICMR द्वारा की जा रही एक और संयुक्त स्टडी अभी जारी है, लेकिन शुरुआती निष्कर्ष बताते हैं कि इन मौतों की प्रमुख वजह हार्ट अटैक ही है और अधिकतर मामलों में जेनेटिक म्यूटेशन या पहले से मौजूद बीमारियां पाई गई हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने जोर दिया कि भारत में COVID-19 वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है और इसने महामारी के दौरान करोड़ों लोगों की जान बचाई है। गंभीर रिएक्शन के मामले बहुत ही कम हैं और अफवाहों के आधार पर वैक्सीन के खिलाफ माहौल बनाना जनता को भ्रमित करता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अचानक हृदयगति रुकना यानी सडन कार्डियक अरेस्ट जीवनशैली, खानपान, तनाव, जेनेटिक समस्याएं, और नियमित स्वास्थ्य जांच के अभाव जैसे कई कारणों से हो सकता है। बेंगलुरु और मैसूरु के जयदेव अस्पतालों की रिपोर्ट बताती है कि कार्डियक इमरजेंसी में आने वाले मरीजों की संख्या में 20 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई है, जो यह दर्शाता है कि जनता इस मुद्दे को लेकर डरी हुई है। लेकिन यह डर अगर सही दिशा में जागरूकता में बदले तो समय पर इलाज और रोकथाम संभव है। वैज्ञानिक आधार पर की गई जांच और निष्कर्षों को प्राथमिकता देना बेहद जरूरी है, न कि अफवाहों और राजनीतिक बयानों पर भरोसा करना।
