KGF: जहां कभी सोना उगता था, आज खामोशी बसी है

Jitendra Kumar Sinha
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कोलार गोल्ड फील्ड्स — जिसे हम आमतौर पर KGF के नाम से जानते हैं — भारत के कर्नाटक राज्य के कोलार जिले में स्थित है। यह कभी भारत का सबसे बड़ा और विश्व के सबसे गहरे सोने के खदानों में से एक था। ब्रिटिश राज में इसे "Little England" कहा जाता था, क्योंकि यहां की वास्तुकला, जीवनशैली और खदानों का संचालन पूरी तरह अंग्रेज़ी शैली में होता था। लेकिन आज KGF अपनी चमक खो चुका है, और एक ऐतिहासिक विरासत बनकर खामोशी से खुद में गुम है।



इतिहास की खान: KGF का स्वर्णिम अतीत

KGF की कहानी 19वीं सदी के उत्तरार्ध में शुरू होती है, जब ब्रिटिश इंजीनियर माइकल लवेल ने यहां की मिट्टी में सोने के कण ढूंढ निकाले। इसके बाद 1880 के दशक में अंग्रेजों ने यहां व्यवस्थित खनन शुरू किया। कर्नाटक सरकार के आंकड़ों के अनुसार, इन खदानों से 100 वर्षों में लगभग 800 टन सोना निकाला गया। कर्नाटक की आर्थिक रीढ़ बनने वाले इस क्षेत्र ने न केवल भारत को समृद्ध किया, बल्कि हजारों परिवारों को रोजगार भी दिया।


KGF में भारत की पहली अंडरग्राउंड इलेक्ट्रिक रेल लाईन बिछाई गई थी। खदानें 3 किलोमीटर से भी अधिक गहराई तक जाती थीं — इतनी गहराई पर काम करना एक जोखिम भरा साहस था, जो KGF के श्रमिकों ने दशकों तक निभाया।



वर्तमान स्थिति: एक वीरान खनन नगरी

1990 के दशक के मध्य में सोने की खनन लागत बढ़ने लगी और उत्पादन कम होता गया। 2001 में भारत सरकार की स्वामित्व वाली कंपनी भारत गोल्ड माइंस लिमिटेड (BGML) ने खनन को स्थायी रूप से बंद कर दिया। तब से अब तक KGF एक परित्यक्त शहर बन गया है।


बंद खदानें अब धूल और समय के हवाले हैं। मशीनें जंग खा चुकी हैं, क्वार्टर्स खंडहर बन चुके हैं, और कई परिवार जो पीढ़ियों से वहीं रहते थे, अब रोज़गार की तलाश में पलायन कर चुके हैं। हालांकि कुछ लोग अभी भी वहीं रह रहे हैं, लेकिन अब वहां न बिजली नियमित आती है, न ही कोई स्वास्थ्य सुविधा।



फिर भी बाकी है उम्मीद की चमक

हाल के वर्षों में KGF को लेकर दो चीज़ों ने दोबारा सुर्खियां बटोरीं — एक तो यश-स्टारर सुपरहिट फिल्म KGF ने इस क्षेत्र को वैश्विक पहचान दी, और दूसरी, सरकार की ओर से BGML को फिर से चालू करने की संभावनाओं की चर्चा।


भारत सरकार ने कई बार संकेत दिए हैं कि BGML की परिसंपत्तियों का पुनः उपयोग किया जा सकता है, यहां तक कि यहां टूरिज़्म को भी बढ़ावा देने की योजना बनी है। इसके साथ-साथ खनिज मंत्रालय और इसरो (ISRO) भी इस क्षेत्र की गहराइयों में अध्ययन और अनुसंधान को लेकर रुचि दिखा चुके हैं।


वहीं स्थानीय लोगों का एक वर्ग चाहता है कि सरकार इस ऐतिहासिक शहर को एक हेरिटेज साइट घोषित करे, और पुराने इंफ्रास्ट्रक्चर को संरक्षित कर पर्यटक स्थल में बदले।



KGF आज सिर्फ एक भूगर्भीय स्थान नहीं है, यह भारतीय मेहनतकशों की धैर्य, साहस और बलिदान की प्रतीक भूमि है। यहां की हर ईंट, हर दीवार, और हर सुरंग एक कहानी कहती है — सोने की नहीं, बल्कि इंसानी जज़्बे की।


KGF की वर्तमान स्थिति चाहे जैसी भी हो, लेकिन इसका अतीत इसे हमेशा जीवित रखेगा। अब सवाल यह है कि क्या सरकार और समाज मिलकर इस खंडहर बन चुकी विरासत को नया जीवन दे पाएंगे, या यह चमकता इतिहास धीरे-धीरे धुंधला होता जाएगा?

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