कोलार गोल्ड फील्ड्स — जिसे हम आमतौर पर KGF के नाम से जानते हैं — भारत के कर्नाटक राज्य के कोलार जिले में स्थित है। यह कभी भारत का सबसे बड़ा और विश्व के सबसे गहरे सोने के खदानों में से एक था। ब्रिटिश राज में इसे "Little England" कहा जाता था, क्योंकि यहां की वास्तुकला, जीवनशैली और खदानों का संचालन पूरी तरह अंग्रेज़ी शैली में होता था। लेकिन आज KGF अपनी चमक खो चुका है, और एक ऐतिहासिक विरासत बनकर खामोशी से खुद में गुम है।
KGF में भारत की पहली अंडरग्राउंड इलेक्ट्रिक रेल लाईन बिछाई गई थी। खदानें 3 किलोमीटर से भी अधिक गहराई तक जाती थीं — इतनी गहराई पर काम करना एक जोखिम भरा साहस था, जो KGF के श्रमिकों ने दशकों तक निभाया।
बंद खदानें अब धूल और समय के हवाले हैं। मशीनें जंग खा चुकी हैं, क्वार्टर्स खंडहर बन चुके हैं, और कई परिवार जो पीढ़ियों से वहीं रहते थे, अब रोज़गार की तलाश में पलायन कर चुके हैं। हालांकि कुछ लोग अभी भी वहीं रह रहे हैं, लेकिन अब वहां न बिजली नियमित आती है, न ही कोई स्वास्थ्य सुविधा।
भारत सरकार ने कई बार संकेत दिए हैं कि BGML की परिसंपत्तियों का पुनः उपयोग किया जा सकता है, यहां तक कि यहां टूरिज़्म को भी बढ़ावा देने की योजना बनी है। इसके साथ-साथ खनिज मंत्रालय और इसरो (ISRO) भी इस क्षेत्र की गहराइयों में अध्ययन और अनुसंधान को लेकर रुचि दिखा चुके हैं।
वहीं स्थानीय लोगों का एक वर्ग चाहता है कि सरकार इस ऐतिहासिक शहर को एक हेरिटेज साइट घोषित करे, और पुराने इंफ्रास्ट्रक्चर को संरक्षित कर पर्यटक स्थल में बदले।
KGF की वर्तमान स्थिति चाहे जैसी भी हो, लेकिन इसका अतीत इसे हमेशा जीवित रखेगा। अब सवाल यह है कि क्या सरकार और समाज मिलकर इस खंडहर बन चुकी विरासत को नया जीवन दे पाएंगे, या यह चमकता इतिहास धीरे-धीरे धुंधला होता जाएगा?
