कांवड़ यात्रा में यूपी सरकार की नई तकनीकी पहल - ऐप से मिलेगा दुकानदार का नाम

Jitendra Kumar Sinha
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कांवड़ यात्रा के दौरान सुरक्षा और पारदर्शिता को प्राथमिकता देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने एक अहम कदम उठाया है। इस वर्ष हरिद्वार-दिल्ली हाईवे और अन्य प्रमुख कांवड़ मार्गों पर स्थित दुकानों पर दुकानदार का नाम बोर्ड पर लिखना अनिवार्य नहीं होगा। इसके बजाय अब दुकान पर एक क्यूआर कोड युक्त फॉर्म चस्पा किया जाएगा, जिसे स्कैन कर यात्री और अधिकारी दुकानदार की पूरी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।


खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (FSDA) की ओर से जारी निर्देशों के अनुसार, अब दुकानदार को अपनी दुकान पर एक क्यूआर कोड वाला विशेष फॉर्म लगाना होगा। जब कोई व्यक्ति इस क्यूआर कोड को स्कैन करेगा, तो उसके मोबाइल स्क्रीन पर दुकानदार का पूरा नाम, पता, लाइसेंस नंबर, मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी जानकारी उपलब्ध होगा। इस व्यवस्था से न सिर्फ यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि किसी भी शिकायत की स्थिति में संबंधित दुकानदार तक प्रशासन आसानी से पहुंच सकेगा।


अब तक की व्यवस्था में दुकान के बाहर दुकानदार का नाम पेंट या बोर्ड पर लिखना जरूरी था, लेकिन इस बार ऐसा करना वैकल्पिक होगा। केवल दुकान का नाम ही काफी होगा। इससे एक ओर जहां गोपनीयता बनी रहेगी, वहीं दूसरी ओर डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम से पारदर्शिता और जवाबदेही भी सुनिश्चित होगी।


कांवड़ यात्रा हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। इस दौरान मार्ग में लगने वाला अस्थायी दुकानों से लेकर स्थायी ढांचों तक, खाद्य सामग्री, दवाएं और पेय पदार्थ बड़ी मात्रा में बेचे जाते हैं। इन सभी पर निगरानी रखना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती होती है। ऐसे में यह तकनीकी पहल स्मार्ट गवर्नेंस की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम है।


यात्रियों को अगर किसी दुकान से खराब खाद्य सामग्री मिली या कीमतों में गड़बड़ी हुई, तो ग्राहक सीधे ऐप या पोर्टल के माध्यम से दुकानदार की जानकारी लेकर शिकायत कर सकेंगे। सुरक्षा की भावना से दुकानदार की डिजिटल पहचान यात्रियों में विश्वास पैदा करेगा। बिना विवाद के समाधान भी क्यूआर कोड से मिली जानकारी से विवाद की स्थिति में सटीक पहचान और सुलह संभव होगा।


उत्तर प्रदेश सरकार की यह पहल न सिर्फ तकनीकी सशक्तिकरण की मिसाल है, बल्कि यह धार्मिक यात्राओं को अधिक सुरक्षित, पारदर्शी और सुगम बनाने की दिशा में एक ठोस प्रयास भी है। ऐसे उपायों से जहां श्रद्धालुओं को सुविधा मिलेगी, वहीं प्रशासन के लिए भी निगरानी और नियंत्रण आसान होगा।


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