ब्राजील के रियो डी जनेरियो में आयोजित 17वें ब्रिक्स समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सशक्त और स्पष्ट संदेश दिया। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि आतंकवादी हमले केवल सुरक्षा पर नहीं, बल्कि पूरी मानवता पर हमला हैं। उन्होंने विशेष तौर पर जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए हमले का ज़िक्र करते हुए कहा कि ऐसे कृत्यों की केवल शब्दों में नहीं, बल्कि नीयत और नीति दोनों में निंदा होनी चाहिए। उन्होंने ज़ोर दिया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में 'जीरो टॉलरेंस' ही एकमात्र रास्ता है और किसी तरह का समझौता न देश हित में है और न मानवता के।
अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने ग्लोबल साउथ यानी विकासशील देशों की समस्याओं पर ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि दशकों से इन देशों के साथ दोहरा रवैया अपनाया जा रहा है, जहां संसाधनों की उपलब्धता, वैश्विक संस्थानों में भागीदारी और सुरक्षा के मुद्दों पर उनका पक्ष हमेशा उपेक्षित रहा है। मोदी ने ब्रिक्स को इस असंतुलन को ठीक करने का एक मंच बताया और कहा कि यह समूह अब केवल एक संगठन नहीं, बल्कि एक बदलाव की लहर है।
ब्रिक्स में हुए नए विस्तार को लेकर भी प्रधानमंत्री ने संतोष जताया। उन्होंने कहा कि इंडोनेशिया को पूर्ण सदस्य बनाना और अन्य देशों जैसे बेलारूस, बोलीविया, कजाकिस्तान, क्यूबा, मलेशिया, नाइजीरिया, थाईलैंड, वियतनाम, युगांडा और उज्बेकिस्तान को पार्टनर देशों के रूप में शामिल करना एक अहम कदम है। यह दिखाता है कि ब्रिक्स समय के साथ बदलने की क्षमता रखता है और इसकी प्रासंगिकता दिन-ब-दिन बढ़ रही है।
प्रधानमंत्री ने 20वीं सदी की वैश्विक संस्थाओं की आलोचना करते हुए कहा कि वे अब 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे एक पुराना टाइपराइटर तेज़ दौड़ते सॉफ्टवेयर को नहीं चला सकता, वैसे ही पुरानी सोच वाली संस्थाएं आज की चुनौतियों से नहीं निपट सकतीं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, विश्व व्यापार संगठन (WTO), और न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) जैसे संस्थानों में तत्काल सुधार की आवश्यकता पर बल दिया।
जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर मोदी ने COP30 के सफल आयोजन की सराहना की और भारत की COP33 की मेजबानी की दावेदारी को प्रमुखता से रखा। ब्रिक्स देशों ने भी इस पर सहमति जताई और भारत के प्रयासों को समर्थन दिया।
समिट के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की विभिन्न देशों के नेताओं से द्विपक्षीय मुलाकातें भी हुईं, जहां ऊर्जा, खनिज, कृषि, स्वास्थ्य, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हुई। उन्होंने यह भी कहा कि आज विश्व जिस दौर से गुजर रहा है, उसमें एकजुटता, साझेदारी और समन्वय ही सबसे बड़ी जरूरत है।
प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे ने भारत की वैश्विक छवि को और सशक्त किया है। उनका यह संदेश कि भारत न केवल अपनी बात रखने आया है, बल्कि पूरी मानवता की भलाई के लिए समाधान देने को तैयार है — यह ब्रिक्स मंच पर भारत की भूमिका को और भी अधिक प्रासंगिक बनाता है।
