प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में घाना का दौरा किया, जो न सिर्फ भारत और अफ्रीका के रिश्तों को नई दिशा देने वाला कदम माना जा रहा है, बल्कि वैश्विक रणनीतिक दृष्टि से भी बेहद अहम है। इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी और घाना के राष्ट्रपति जॉन ड्रामानी महामा के बीच कई ऐतिहासिक समझौते हुए। इन समझौतों में व्यापार, संस्कृति, शिक्षा, स्वास्थ्य और पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र शामिल हैं। लेकिन सबसे अहम समझौता रहा "रेयर अर्थ मिनरल्स" के खनन को लेकर, जो भारत को तकनीकी और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।
रेयर अर्थ मिनरल्स की बात करें तो आज पूरी दुनिया इस पर चीन की मोनोपॉली से परेशान है। इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, मोबाइल फोन, मिसाइल सिस्टम – इन सबमें इन खनिजों की जरूरत होती है। भारत और घाना के बीच इस क्षेत्र में सहयोग से चीन की पकड़ कमजोर पड़ सकती है। यही कारण है कि यह कदम न सिर्फ व्यापारिक, बल्कि रणनीतिक तौर पर भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मोदी सरकार की यह चाल दुनिया में एक नया संदेश दे रही है – भारत अब केवल देखने वाला नहीं, निर्णायक भूमिका निभाने वाला देश है।
इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश भी दिया। उन्होंने साफ कहा कि आतंकवाद मानवता का दुश्मन है और इससे निपटने के लिए सभी देशों को मिलकर काम करना होगा। भारत और घाना ने आतंकवाद विरोधी सहयोग को मजबूत करने पर सहमति जताई। यह वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती भूमिका और स्पष्ट दृष्टिकोण को दर्शाता है।
दूसरी ओर, भारत और घाना ने अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य भी रखा है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत घाना की विकास यात्रा में सिर्फ एक भागीदार नहीं बल्कि एक सच्चा मित्र और सहयात्री है। यह बयान अफ्रीकी देशों के साथ भारत की बढ़ती साझेदारी और भरोसे को दर्शाता है।
लेख में इस दौरे को लेकर एक बहुत तीखी बात कही गई है – कि भारत की यह कूटनीतिक सक्रियता अब उसके शत्रु देशों की नींद उड़ा देगी। खासतौर पर चीन जैसे देश, जो अफ्रीका में अपनी पैठ जमाने में लगे हैं, उन्हें अब भारत की मौजूदगी और प्रभाव को गंभीरता से लेना होगा। यह यात्रा इस बात का प्रतीक है कि भारत अब भू-राजनीतिक खेल में सिर्फ मोहरा नहीं, खिलाड़ी बन चुका है।
प्रधानमंत्री मोदी की घाना यात्रा ने न सिर्फ दोनों देशों के रिश्तों को मजबूती दी, बल्कि भारत की वैश्विक छवि को भी एक नया आयाम दिया है। यह एक ऐसा कदम है, जिसने यह साफ कर दिया है कि भारत अब वैश्विक शक्ति संतुलन में एक निर्णायक भूमिका निभाने के लिए तैयार है – और इससे कुछ देशों की नींद उड़ना तो तय है।
