WHO की सख्त सिफारिश - महंगी होगी शराब और कोल्ड ड्रिंक्स

Jitendra Kumar Sinha
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आने वाले वर्षों में शराब, तंबाकू और कोल्ड ड्रिंक्स जैसी अस्वास्थ्यकर चीजें जेब पर भारी पड़ सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दुनिया भर की सरकारों से आग्रह किया है कि वह इन वस्तुओं पर कर (टैक्स) बढ़ाकर उनकी कीमतों में कम से कम 50 प्रतिशत की वृद्धि करें। यह कदम न केवल जनस्वास्थ्य सुधारने के लिए उठाया जा रहा है, बल्कि इससे सरकारों को आर्थिक संसाधन भी मिलेगा, जिससे उनकी स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूती मिलेगी।


यह सिफारिश स्पेन के सेविले शहर में आयोजित यूएन फाइनेंस फॉर डेवलपमेंट सम्मेलन में WHO द्वारा प्रस्तुत की गई। संगठन का मानना है कि मधुमेह, मोटापा, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ने में इस कदम से अहम मदद मिलेगा। साथ ही WHO ने 2035 तक इन 'हेल्थ टैक्स' से करीब एक ट्रिलियन डॉलर जुटाने का लक्ष्य रखा है।


WHO के प्रमुख डॉ. टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने कहा है कि अब समय आ गया है जब सरकारों को यह कड़वा सच स्वीकार करना होगा कि हमारी स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए नीतिगत फैसले जरूरी है। वहीं, WHO के सहायक महानिदेशक डॉ. जेरेमी फैरर ने इस हेल्थ टैक्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य सुधारने के सबसे प्रभावी औजारों में से एक बताया है।


स्वास्थ्य अर्थशास्त्री गुइलेर्मो सांडोवाल ने बताया है कि यदि आज किसी देश में एक मीठा पेय 4 डॉलर का है, तो इस नीति के बाद 2035 तक उसकी कीमत 10 डॉलर हो सकता है, जिसमें महंगाई भी शामिल होगी। इससे उपभोग में गिरावट और स्वास्थ्य में सुधार के संकेत मिलते हैं। कोलंबिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में ऐसे टैक्स पहले ही लगाया जा चुका है और वहां सकारात्मक परिणाम सामने आया हैं।


भारत में भी इस दिशा में प्रयास शुरू हो चुका है। अप्रैल 2025 में ICMR-राष्ट्रीय पोषण संस्थान के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय समूह ने चीनी, वसा और नमक से भरपूर खाद्य पदार्थों पर विशेष स्वास्थ्य कर लगाने की सिफारिश की थी। उन्होंने यह भी सुझाव दिया था कि ऐसे अस्वास्थ्यकर उत्पादों की बिक्री स्कूल कैंटीनों और शिक्षण संस्थानों के आसपास प्रतिबंधित किया जाए।


विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह नीति लागू होता है, तो न सिर्फ शराब और कोल्ड ड्रिंक्स महंगे होंगे, बल्कि लोगों की जीवनशैली में भी सकारात्मक बदलाव आएगा। सरकार को इससे एक बड़ा राजस्व मिलेगा जिसे प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं, अस्पतालों, टीकाकरण कार्यक्रमों और पोषण योजनाओं में लगाया जा सकता है।

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