फायर नहीं, फुल ऑन वाइल्डफायर है - “पुष्पा 2- द रूल”

Jitendra Kumar Sinha
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साउथ सिनेमा के सुपरस्टार अल्लू अर्जुन एक बार फिर अपने आइकॉनिक किरदार पुष्पा राज के रूप में वापसी कर रहा है, और इस बार वह सिर्फ एक किरदार नहीं, बल्कि एक ज्वाला बन चुका है। “पुष्पा 2 - द रूल” का टेलीविजन प्रीमियर हो रहा है रविवार, 6 जुलाई को शाम 7.30 बजे सिर्फ एंड पिक्चर्स पर। यह फिल्म सिर्फ एक्शन और ड्रामा की पेशकश नहीं है, बल्कि यह एक अंडरडॉग के आत्मविश्वास, जुनून और संघर्ष की कहानी है, एक ऐसा किरदार जो मिट्टी से उठकर ताकत की मिसाल बन जाता है।


“फायर नहीं... वाइल्डफायर है”- यही है पुष्पा का नया तेवर। फिल्म ‘पुष्पा- द राइज’ ने जिस क्रांति की शुरुआत की थी, ‘पुष्पा 2- द रूल’ उसी क्रांति को और भी ज्यादा उग्र और प्रभावशाली अंदाज में आगे बढ़ाता है। पुष्पा अब महज एक तस्कर या बाहुबली नहीं रहा, वह अब एक विचार बन चुका है, अपने आत्मसम्मान और पहचान को बचाने का प्रतीक।


रश्मिका मंदाना द्वारा निभाया गया किरदार श्रीवल्ली इस फिल्म में एक नया रूप लेता है। अब वह सिर्फ पुष्पा की प्रेमिका या पत्नी नहीं, बल्कि उसकी सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरती है। रश्मिका कहती हैं, “इस बार श्रीवल्ली सिर्फ साथ खड़ी नहीं होती, वह खुद अपनी आवाज बुलंद करती है।” फिल्म में एक ऐसा सीन है जहाँ श्रीवल्ली पुष्पा के लिए डटकर सामने आती है, यह पल उनके रिश्ते की परिभाषा ही नहीं, बल्कि महिला सशक्तिकरण की एक मिसाल भी बन जाता है।


फिल्म के निर्देशक सुकुमार कहते हैं कि “सिनेमा का असली जादू तब होता है जब वो दर्शकों के घरों तक पहुंचता है।” टेलीविजन पर फिल्म का प्रीमियर उसे और भी व्यापक दर्शकों तक पहुंचाता है। घर में बैठकर परिवार संग एक ऐसी कहानी देखना, जो जुनून, संघर्ष और जीत का संगम हो, यही पुष्पा 2 की ताकत है।


‘पुष्पा 2 - द रूल’ केवल एक सीक्वल नहीं है, यह एक ऐसी भावना है जो हर दर्शक को छूती है। यह फिल्म याद दिलाती है कि “झुकने का नाम नहीं है पुष्पा।”


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