शताब्दियों पुराना धरोहर बना राष्ट्रीय स्मारक - “स्वप्नेश्वर महादेव मंदिर”

Jitendra Kumar Sinha
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ओडिशा के खोरधा जिले के पुंजीआमा गांव में स्थित “स्वप्नेश्वर महादेव मंदिर” को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने राष्ट्रीय महत्व का संरक्षित स्मारक घोषित कर दिया है। यह ऐतिहासिक घोषणा 2 जुलाई 2025 को भारत सरकार द्वारा जारी गजट अधिसूचना के माध्यम से की गई है। छठी सदी में निर्मित यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत का भी एक गौरवशाली प्रतीक है।


“स्वप्नेश्वर महादेव मंदिर” की स्थापना छठवीं सदी में शैलोद्भव वंश के शासनकाल में माना जाता है। यह वंश ओडिशा की प्राचीन राजनीतिक और सांस्कृतिक चेतना का हिस्सा रहा है, जिसने खासतौर पर हिन्दू धर्म और शैव परंपरा को बढ़ावा दिया है। मंदिर की वास्तुकला में उस काल की कला, शिल्प और धार्मिकता का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है। इस मंदिर में शिवलिंग के रूप में भगवान शिव की स्थापना की गई है और यहां शिवरात्रि जैसे पर्वों पर भारी संख्या में श्रद्धालु एकत्र होते हैं।


मंदिर की वास्तुकला उस काल की विशिष्ट केलिंग शैली में बना हुआ है, जो ओडिशा के मंदिरों की पहचान माना जाता है। इसका गर्भगृह, जगमोहन (प्रार्थना कक्ष) और शिखर (मंदिर की ऊंची चोटी) पारंपरिक शैव मंदिरों की योजना को दर्शाता है। पत्थर पर की गई नक्काशी और दीवारों पर अंकित देवी-देवताओं की मूर्तियाँ इसकी धार्मिकता और कला को दर्शाता है।


भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा इस मंदिर को संरक्षित स्मारक घोषित किए जाने के बाद अब यहां संरक्षण, मरम्मत और पर्यटन विकास के कार्य तेजी से होंगे। इसका उद्देश्य मंदिर की मौलिकता को बचाए रखते हुए इसे भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षित करना 

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