पटना के कंकड़बाग इलाके में आर. झुनझुनवाला शंकरा आई हॉस्पिटल का उद्घाटन हुआ, जिसे नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इस अस्पताल की स्थापना जन-निजी भागीदारी (PPP मॉडल) के तहत की जा रही है, जिसमें करीब 100 करोड़ रुपये का निवेश होगा। इसका उद्देश्य राज्य के लोगों को उच्च गुणवत्ता वाली नेत्र चिकित्सा सुविधाएं स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराना है, ताकि उन्हें इलाज के लिए दिल्ली, चेन्नई या अन्य बड़े शहरों की ओर रुख न करना पड़े।
इस अवसर पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद रहे। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि राज्य सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है, और यह अस्पताल उसी दिशा में एक मील का पत्थर है। मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि यह अस्पताल दिसंबर 2026 तक पूरी तरह से कार्यशील हो जाएगा और इससे न केवल पटना बल्कि आसपास के जिलों को भी फायदा पहुंचेगा।
इस आधुनिक सुपर-स्पेशलिटी नेत्र अस्पताल में अत्याधुनिक ऑपरेशन थिएटर, उच्च गुणवत्ता की डायग्नोस्टिक सुविधाएं, और विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम उपलब्ध होगी। साथ ही, गरीब और जरूरतमंद मरीजों के लिए मुफ्त या रियायती दरों पर इलाज की सुविधा भी सुनिश्चित की जाएगी। शंकरा आई हॉस्पिटल समूह देशभर में अपनी सेवा के लिए जाना जाता है और अब पटना में इसकी मौजूदगी स्वास्थ्य सेवाओं को और मजबूत करेगी।
इस प्रोजेक्ट से न केवल चिकित्सा सुविधाएं सुधरेंगी बल्कि स्थानीय स्तर पर रोज़गार के अवसर भी बढ़ेंगे। नर्सिंग, टेक्नीशियन, प्रशासनिक और तकनीकी पदों के लिए भी लोगों को प्रशिक्षण देकर नियुक्त किया जाएगा, जिससे राज्य के युवाओं को नई दिशा मिलेगी।
अस्पताल की स्थापना झुनझुनवाला फाउंडेशन और शंकरा आई हॉस्पिटल ग्रुप के संयुक्त प्रयास से हो रही है। दोनों संस्थान लंबे समय से चिकित्सा और सामाजिक क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। अब इनकी भागीदारी बिहार की स्वास्थ्य प्रणाली को एक नई ऊँचाई तक पहुंचाने का काम करेगी।
इस पहल को राज्य सरकार द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र में दी जा रही प्राथमिकता के रूप में देखा जा रहा है। सरकार चाहती है कि बिहार के लोग उच्च गुणवत्ता की चिकित्सा सेवाएं यहीं प्राप्त करें और दूसरे राज्यों पर निर्भरता कम हो। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा कि आने वाले समय में राज्य में और भी सुपर-स्पेशलिटी अस्पतालों की योजना बनाई जा रही है।
पटना में इस अस्पताल की शुरुआत न केवल चिकित्सा सेवा का विस्तार है, बल्कि एक सामाजिक बदलाव की भी शुरुआत है, जो स्वास्थ्य को एक बुनियादी अधिकार मानकर उसे सबके लिए सुलभ बनाने की दिशा में उठाया गया ठोस कदम है।
