बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने एक विवादित बयान देकर सियासी हलकों में हड़कंप मचा दिया है। उन्होंने चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा, "ऐसे स्रोतों को पेशाब माना जाता है।" उनका यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और विपक्षी दलों ने इसकी कड़ी निंदा की है।
तेजस्वी यादव ने अपने बयान में चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए और कहा कि जिन संस्थाओं को लोकतंत्र के प्रहरी के रूप में काम करना चाहिए, वे आज सत्ता के इशारे पर नाच रही हैं। उन्होंने कहा कि जब सत्ता पक्ष के खिलाफ कोई मामला आता है तो आयोग चुप रहता है, लेकिन विपक्ष पर तुरंत कार्रवाई करता है। तेजस्वी ने दावा किया कि जनता सब देख रही है और आने वाले चुनावों में इसका जवाब जरूर देगी।
तेजस्वी ने यह भी कहा कि "कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और सूत्रों से ऐसी जानकारी सामने आती है, जो पूरी तरह गलत और सत्ता समर्थक होती है। ऐसे स्रोतों को हम पेशाब के समान मानते हैं।" उनके इस बयान से विवाद पैदा हो गया और कई लोगों ने इसे असंवेदनशील और लोकतांत्रिक संस्थाओं का अपमान बताया।
विपक्षी दलों ने तेजस्वी पर हमला बोलते हुए कहा कि उन्हें लोकतंत्र की मर्यादा का पालन करना चाहिए। भाजपा नेताओं ने मांग की कि चुनाव आयोग इस बयान को गंभीरता से ले और तेजस्वी के खिलाफ कार्रवाई करे। वहीं जदयू ने कहा कि तेजस्वी को अपने शब्दों पर माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि यह बयान न सिर्फ चुनाव आयोग बल्कि पूरे लोकतंत्र का अपमान है।
हालांकि, राजद समर्थकों ने तेजस्वी का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने जो कहा, वह जनता की भावना को दर्शाता है। उन्होंने तर्क दिया कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाना गलत नहीं है, खासकर तब जब पिछले कुछ वर्षों से यह स्पष्ट हो गया है कि आयोग सत्ता के दबाव में काम कर रहा है।
तेजस्वी यादव पहले भी अपने तीखे और बेबाक बयानों के लिए जाने जाते रहे हैं, लेकिन इस बार उन्होंने जिस भाषा का प्रयोग किया है, उससे मामला और अधिक गंभीर हो गया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव आयोग इस बयान पर क्या रुख अपनाता है और क्या तेजस्वी यादव इस पर सफाई देते हैं या माफी मांगते हैं।
बिहार की राजनीति में जहां एक ओर चुनावी तैयारियां जोर पकड़ रही हैं, वहीं तेजस्वी यादव का यह बयान एक नया विवाद खड़ा कर गया है। यह विवाद आने वाले दिनों में सियासी बहस का प्रमुख विषय बन सकता है और इसके दूरगामी प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं।
