21वीं सदी में तकनीक अब जीवन का आधार बन चुका है। 3G से 4G और फिर 5G तक के सफर में तेज इंटरनेट, रियल-टाइम वीडियो कॉल, ऑनलाइन शिक्षा, टेलीमेडिसिन जैसी सुविधाओं को सामान्य बना दिया है। लेकिन अब भारत सरकार ने 6G नेटवर्क की दिशा में अगला कदम उठाया है, वह केवल एक अपग्रेड नहीं है, बल्कि तकनीकी क्रांति का अगला अध्याय है।
6G एक ऐसी टेक्नोलॉजी है, जिसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानि AI (Artificial Intelligence) नेटवर्क के साथ एकीकृत होगी। इसे AI-नेटिव नेटवर्क कहा जा रहा है। यह स्मार्टफोन, इंटरनेट और एआई टूल्स के उपयोग की शैली ही बदल देगा।
6G केवल फास्ट इंटरनेट नहीं है, यह एक इंटेलिजेंट नेटवर्किंग प्रणाली होगी। इसमें AI नेटवर्क का अंग होगा, न कि केवल एक सहायक एप्लिकेशन। इसका मतलब यह है कि कोई अलग ChatGPT या अन्य AI ऐप डाउनलोड करने की ज़रूरत नहीं होगी। जैसे ही फोन से जुड़ेंगे, वह खुद-ब-खुद आपके आदेशों को समझेगा और AI टूल्स तुरंत काम करने लगेगा।
उदाहरण के लिए, किसी फॉर्म को भरना है? मोबाइल का AI आपके पुराने डेटा से खुद उसे भर देगा। यात्रा करनी है? AI आपके कैलेंडर, मौसम, ट्रैफिक और पसंदीदा साधनों को देखकर सुझाव देगा। हेल्थ चेकअप? मोबाइल खुद ही आपकी रिपोर्ट्स को समझेगा और जरूरी सुझाव देगा।
केंद्रीय संचार मंत्रालय ने 6G के लिए एक सुव्यवस्थित “टेक्नोलॉजी इनोवेशन ग्रुप (TIG)” बनाया है, जिसके अंतर्गत 6 विशेष टीमें काम कर रही हैं। इन टीमों का कार्य है, 6G नेटवर्क का डिज़ाइन बनाना, मैदानी इंफ्रास्ट्रक्चर का मंथन, AI के एकीकरण की प्रक्रिया और तकनीकी प्रदर्शन की रूपरेखा तैयार करना। भारत 2027 में होने वाले 6G बैंड मॉडल सम्मेलन के लिए रोडमैप तैयार कर चुका है। इसका उद्देश्य केवल भागीदारी नहीं, बल्कि नेतृत्व करना है।
6G तकनीक टाइमलाइन का कार्य है वर्ष 2026 में 6G के मॉडल, प्रदर्शन और जरूरतों को स्पष्ट करना। वर्ष 2027-28 में 6G के तकनीकी कॉन्सेप्ट और बैंड का निर्धारण। वर्ष 2028-29 में 3GPP और ITU जैसे वैश्विक निकायों के साथ सेल्फ असेसमेंट प्रक्रिया और वर्ष 2030 में 6G नेटवर्क की लॉंचिंग और वाणिज्यिक उपयोग की शुरुआत करना।
AI की ताकत नेटवर्क में समाहित है। अब मोबाइल या लैपटॉप में अलग से कोई AI ऐप जैसे चैटबॉट, ट्रांसलेटर, फोटो एडिटर, या वीडियो एनालाइजर डाउनलोड नहीं करना होगा। AI सिस्टम पहले से नेटवर्क में मौजूद रहेगा। होलोग्राफिक और इमर्सिव संचार को संभव बनायेगा। किसी मीटिंग में रहने पर और सामने उस व्यक्ति का होलोग्राम खड़ा हो तो 6G ऐसी होलोग्राफिक और इमर्सिव कम्युनिकेशन को संभव बनाएगा। स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम, स्मार्ट वेस्ट मैनेजमेंट, स्मार्ट पुलिसिंग, यह सब केवल प्रचार की बातें अब नहीं रहेगी। 6G के साथ AI हर सिग्नल, कैमरा, और डेटा सेंटर को जोड़कर शहर को सचमुच में “स्मार्ट” बनाएगा। अब माइक्रो रोबोट्स और AI के साथ डॉक्टर हजारों किलोमीटर दूर से वर्चुअली ऑपरेशन कर पाएंगे। 6G के कारण नेटवर्क डिले लगभग खत्म हो जाएगा। ड्रोन अब केवल वीडियो लेने तक सीमित नहीं रहेंगा। 6G की मदद से वे लाइव ट्रैकिंग, इमरजेंसी डिलीवरी, ट्रैफिक नियंत्रण, और यहां तक कि बाढ़-सूचना प्रणाली का हिस्सा बनेगा। फैक्ट्रीज़ में मशीनें खुद निर्णय लेंगी कि कब चलना है, कब बंद होना है, कौन सा पार्ट खराब हो गया है। इससे उत्पादन और गुणवत्ता दोनों में सुधार होगा।
भारत ने फिनलैंड समेत कुछ अन्य देशों के साथ समझौता किया है ताकि 6G तकनीक को विकसित करने के लिए अनुसंधान में सहयोग हो। फिनलैंड दुनिया में वायरलेस नेटवर्क के सबसे अग्रणी देशों में से एक है, इसलिए वहां की विशेषज्ञता भारत के लिए अमूल्य है। अब तक फिनलैंड और भारत के बीच कई बैठकें हो चुकी हैं। साझा रिसर्च प्रोजेक्ट्स शुरू हुए हैं। नेटवर्क डिज़ाइन, स्पेक्ट्रम और AI एकीकरण पर दस्तावेज तैयार हो चुका है।
6G की बातें जोश और उम्मीद से भरी हैं, लेकिन भारत में 5G की स्थिति अब तक संतोषजनक नहीं है। शहरी इलाकों में 5G नेटवर्क उपलब्ध है, लेकिन स्पीड अक्सर कम रहती है। ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में 5G नेटवर्क अभी भी ठप या अनुपलब्ध है। मोबाइल कंपनियां अभी भी इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड कर रही हैं।
टेलीकॉम कंपनियों ने अब 6G नेटवर्क के अनुकूल टॉवर लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। नई जगहों पर मल्टी-फ्रीक्वेंसी टॉवर लगाए जा रहे हैं। मौजूदा टॉवरों को AI और लो-लेटेंसी नेटवर्क के मुताबिक अपग्रेड किया जा रहा है। सैटेलाइट कम्युनिकेशन को भी 6G का भाग बनाने की योजना है।
भारत के कई ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली और नेटवर्क अब भी सीमित हैं। वहां 6G नेटवर्क कैसे पहुँचेगा? जब नेटवर्क AI-नेटिव होगा, तो उसके माध्यम से निजी डेटा तक पहुंच और हैकिंग की संभावना भी बढ़ेगी। 6G आधारित डिवाइसेज और नेटवर्क उपकरण आम जनता की पहुंच से बाहर हो सकता है यदि सरकार सब्सिडी या नीतियां न लाए। भारत में टेक्नोलॉजी से तेज नहीं चलती नीति। यदि 6G की नीतियाँ समय पर नहीं बनीं, तो यह तकनीक गुमनाम हो सकता है।
भारत सरकार ने जिस दूरदृष्टि और संकल्प के साथ 6G की तैयारी शुरू की है, वह सराहनीय है। हालांकि 5G की अधूरी कहानी चेतावनी देती है कि किसी भी तकनीक को लाने से पहले उसके लिए जमीन तैयार करनी होती है- बुनियादी ढांचा, नीति, सुरक्षा और जन-भागीदारी।
