एयर इंडिया का बड़ा फैसला - अब पायलट 65 और अन्य कर्मचारी 60 साल तक करेंगे सेवा

Jitendra Kumar Sinha
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टाटा ग्रुप की एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया ने अपने कर्मचारियों के लिए एक ऐतिहासिक और राहत भरा निर्णय लिया है। कंपनी ने पायलटों और नॉन-फ्लाइंग स्टाफ की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ा दी है, जिससे अब पायलट 65 वर्ष और नॉन-फ्लाइंग कर्मचारी 60 वर्ष की आयु तक सेवा दे सकेंगे। यह बदलाव एयर इंडिया के लगभग 24 हजार कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी के रूप में आया है।

अब तक एयर इंडिया में सभी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु सीमा 58 साल तय थी। इस वजह से कई अनुभवी और कुशल कर्मचारी, जिनके पास वर्षों का अनुभव था, को समय से पहले ही नौकरी छोड़नी पड़ती थी। इस फैसले से उन कर्मचारियों को न केवल अतिरिक्त वर्षों तक काम करने का अवसर मिलेगा, बल्कि वे अपनी विशेषज्ञता का लाभ कंपनी और यात्रियों दोनों को दे सकेंगे।

नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) के नियमों के अनुसार, कॉमर्शियल पायलटों के लिए अधिकतम आयु सीमा 65 वर्ष है। एयर इंडिया ने अपने नए नियम को इन मानकों के अनुरूप बनाया है। इससे पायलटों को न केवल लंबा करियर मिलेगा, बल्कि एयरलाइन को भी अनुभवी पायलटों की कमी का सामना कम करना पड़ेगा।

एयर इंडिया के इस निर्णय के पीछे प्रमुख वजह अनुभवी कर्मचारियों को बनाए रखना है। विमानन उद्योग में सुरक्षा और सेवा गुणवत्ता सीधे तौर पर कर्मचारियों के अनुभव और दक्षता पर निर्भर करता है। लंबे समय तक कार्यरत रहने वाले पायलट और तकनीकी कर्मचारी एयरलाइन की प्रतिष्ठा और संचालन की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

यह फैसला कर्मचारियों के लिए आर्थिक और मानसिक दोनों दृष्टि से सकारात्मक है। लंबे समय तक काम करने से उनकी आय और पेंशन फंड में बढ़ोतरी होगी, जिससे सेवानिवृत्ति के बाद का जीवन अधिक सुरक्षित बनेगा। वहीं कंपनी को अनुभवी स्टाफ मिलने से प्रशिक्षण की लागत और नए कर्मचारियों की भर्ती में होने वाला खर्च भी घटेगा।

टाटा ग्रुप, जिसने हाल ही में एयर इंडिया का अधिग्रहण किया है, कंपनी के पुनर्निर्माण और विस्तार की दिशा में कई बड़े कदम उठा रहा है। सेवानिवृत्ति आयु में बढ़ोतरी उसी रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य सेवा मानकों को बेहतर बनाना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा में बने रहना है।

एयर इंडिया का यह कदम न केवल कर्मचारियों के लिए राहतभरा है, बल्कि कंपनी के संचालन के लिए भी फायदेमंद साबित होगा। अनुभवी पायलट और स्टाफ लंबे समय तक सेवा देते रहेंगे, जिससे यात्रियों को सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण उड़ान अनुभव मिलेगा। यह फैसला आने वाले वर्षों में भारतीय विमानन उद्योग के लिए भी एक मिसाल बन सकता है।



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