देश की राजनीति में एक नया इतिहास रचते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अब तक के सबसे लंबे कार्यकाल वाले गृहमंत्री बनने का गौरव हासिल कर लिया है। 6 अगस्त 2025 को उन्होंने 2257 दिनों के कार्यकाल के साथ लालकृष्ण आडवाणी और गोविंद वल्लभ पंत का रिकॉर्ड तोड़ दिया। लेकिन सिर्फ समय की बात नहीं है, यह कार्यकाल निर्णयात्मक नेतृत्व, साहसिक फैसलों और राष्ट्रीय सुरक्षा को नई दिशा देने वाला भी रहा है।
अमित शाह के गृह मंत्रालय की सबसे बड़ी उपलब्धियों में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना एक ऐतिहासिक निर्णय रहा। दशकों से लटके इस संवेदनशील मुद्दे को उन्होंने मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति से सुलझाया। विरोधियों ने खून की नदियों की चेतावनी दी थी, लेकिन इसके उलट, घाटी में शांति, निवेश और विकास की राह खुली। आतंकवादी घटनाओं में 70% तक की गिरावट दर्ज की गई है।
गृहमंत्री शाह ने नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने के लिए मिशन मोड में कार्रवाई की। बीते डेढ़ साल में 400 से अधिक नक्सली मारे गए और बड़ी संख्या में आत्मसमर्पण हुए। उनका लक्ष्य 31 मार्च, 2026 तक देश से नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त करने का है। आज नक्सलियों का रेड कॉरिडोर 11 राज्यों से सिमटकर सिर्फ 6 जिलों तक रह गया है।
पूर्वोत्तर भारत में दशकों से चली आ रही उग्रवाद की समस्या को शाह के नेतृत्व में एक नई दिशा मिली। विभिन्न उग्रवादी संगठनों से बातचीत कर उन्हें मुख्यधारा में लाया गया। अब तक 9,000 से ज्यादा उग्रवादियों ने हथियार डाले और शांति प्रक्रिया में शामिल हुए। पूर्वोत्तर में 68% तक उग्रवादी घटनाओं में गिरावट दर्ज की गई।
अमित शाह ने अंग्रेजों के जमाने के औपनिवेशिक दंड संहिता को बदलकर भारत की सभ्यता और न्याय-दर्शन पर आधारित तीन नए दंड कानून लागू किए। उन्होंने UAPA कानून को और सख्त किया और पुलिस, अदालत, जेल और न्याय प्रणाली को डिजिटल रूप से जोड़ने की योजना भी शुरू की।
2019 में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू कर शाह ने उन शरणार्थियों को राहत दी, जो वर्षों से भारत में नागरिकता की आस लगाए बैठे थे। इस कदम ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी चर्चा बटोरी।
अमित शाह का 2257 दिन का गृहमंत्री कार्यकाल न सिर्फ समय में लंबा, बल्कि निर्णयों और परिणामों के लिहाज से बेहद प्रभावशाली रहा है। उन्होंने नए भारत के निर्माण की नींव में अपनी भूमिका को मजबूती से स्थापित किया है।
