श्रमिकों के लिए बिहार सरकार ला रही है नया पोर्टल

Jitendra Kumar Sinha
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बिहार सरकार ने श्रमिकों के हित में एक बड़ा कदम उठाने की घोषणा की है। राज्य से बाहर काम करने वाले लाखों प्रवासी श्रमिकों की समस्याओं और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए सरकार अब एक "श्रमिक पोर्टल" बनाने जा रही है। इस पोर्टल के माध्यम से हर श्रमिक अपनी समस्याएं सीधे सरकार तक पहुंचा सकेगा, और उन्हें 24 घंटे के अंदर समाधान भी मिलेगा। यह पहल राज्य सरकार की श्रमिकों के कल्याण की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम के रूप में देखा जा रहा है।

कोरोना महामारी के समय जब बड़ी संख्या में बिहार के श्रमिक अपने घर लौटे, तब यह बात उजागर हुई कि प्रवासी श्रमिकों की सही-सही जानकारी सरकार के पास उपलब्ध नहीं थी। इसके बाद सरकार ने श्रमिकों की पहचान और पंजीकरण के लिए कई प्रयास किए। अब एक ऐसा प्लेटफार्म तैयार किया जा रहा है जिससे राज्य के हर श्रमिक का डाटा सुरक्षित और सुलभ रहेगा।

इस पोर्टल की सबसे बड़ी खासियत यह होगी कि कोई भी श्रमिक अपनी शिकायत ऑनलाइन दर्ज कर सकेगा। चाहे वह मजदूरी न मिलने की समस्या हो, काम की जगह पर शोषण या फिर सुरक्षा से जुड़ी कोई परेशानी, हर मुद्दे पर शिकायत दर्ज की जा सकेगी। सरकार ने यह भी निर्देश दिया है कि हर शिकायत का निपटारा 24 घंटे के भीतर किया जाना अनिवार्य होगा। यदि कोई अधिकारी लापरवाही करता है या समयसीमा में समाधान नहीं करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई तय है।

बिहार सरकार इस पोर्टल के जरिए न केवल श्रमिकों की शिकायतें सुनेगी, बल्कि उन्हें विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने का भी काम करेगी। जैसे, प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना, आयुष्मान भारत, राशन कार्ड सुविधा, श्रमिक सुरक्षा बीमा और कौशल विकास कार्यक्रम। इससे न केवल श्रमिकों का आर्थिक सशक्तिकरण होगा, बल्कि उनका सामाजिक सम्मान भी बढ़ेगा।

सरकार की कोशिश केवल श्रमिकों की समस्याएं सुनने की नहीं है, बल्कि उन्हें स्थायी और सुरक्षित रोजगार देने की दिशा में भी है। पोर्टल पर उपलब्ध डेटा के माध्यम से सरकार यह भी समझ सकेगी कि कौन से क्षेत्र के कितने श्रमिक बाहर काम कर रहे हैं, उनकी योग्यता क्या है और किस सेक्टर में उन्हें स्थानीय स्तर पर रोजगार देने की संभावना बन सकती है।

यह पोर्टल श्रमिकों को अधिकार और सम्मान दोनों देगा। अब कोई भी श्रमिक अकेला नहीं रहेगा, उसकी आवाज सीधे सरकार तक पहुंचेगी। तकनीक की मदद से बिहार का श्रमिक अब न केवल सुना जाएगा, बल्कि उसकी समस्याओं का समाधान भी समय पर मिलेगा। सरकार की यह पहल सामाजिक न्याय और डिजिटल समावेश की दिशा में एक मजबूत कदम है।



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