बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आयोजित करेगा - “हरित विद्यालय प्रतियोगिता”

Jitendra Kumar Sinha
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आज का युग विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण की चुनौती भी लेकर आया है। बढ़ते प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और संसाधनों के अंधाधुंध दोहन से प्रकृति असंतुलित होता जा रहा है। इसी कड़ी में बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एक सराहनीय पहल की है। बोर्ड ने घोषणा की है कि वह प्रदेश के स्कूलों के बीच “हरित विद्यालय प्रतियोगिता” आयोजित करेगा। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य छात्र-छात्राओं में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाना और स्कूल परिसरों को पर्यावरण अनुकूल बनाना है।

इस प्रतियोगिता का मुख्य लक्ष्य है बच्चों को शुरुआती उम्र से ही पर्यावरण संरक्षण की शिक्षा देना। जब बच्चे पेड़-पौधों, स्वच्छता और ऊर्जा संरक्षण की आदत डालेंगे, तभी वे बड़े होकर जिम्मेदार नागरिक बन पाएंगे।

हरित विद्यालय प्रतियोगिता के अंतर्गत स्कूलों को कई बिंदुओं पर अंक दिए जाएंगे। इनमें प्रमुख हैं- ठोस एव तरल अपशिष्ट प्रबंधन, वर्षा जल संचयन और उसका उपयोग, ऊर्जा संरक्षण के उपाय, नदी, झील, पोखर, पार्क और ट्रैफिक गोलंबर का रखरखाव, स्कूल परिसर की साफ-सफाई और प्लास्टिक मुक्त वातावरण, कागज की जगह ई-डायरी और ई-फाइल का प्रयोग, ई-वेस्ट का प्रबंधन और उसका पुनर्चक्रण, सोलर लाइट का उपयोग और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा। इन बिंदुओं से साफ है कि प्रतियोगिता केवल एक औपचारिक पहल नहीं है, बल्कि संपूर्ण जीवनशैली में बदलाव का संदेश देती है।

इस प्रतियोगिता में राज्य के सभी स्कूल भाग ले सकते हैं। इसके लिए स्कूलों को स्व-मूल्यांकन करते हुए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन की अंतिम तिथि 31 अगस्त निर्धारित की गई है। यह पहल शिक्षा और तकनीक दोनों का संगम है, जहां बच्चों को ई-गवर्नेंस और डिजिटल साधनों का उपयोग करने का भी अवसर मिलेगा।

हरित विद्यालय प्रतियोगिता केवल एक आयोजन भर नहीं है, बल्कि यह एक आंदोलन की शुरुआत है। यदि हर स्कूल अपने परिसर को हरित और स्वच्छ बनाएगा तो न केवल बच्चों की मानसिक और शारीरिक सेहत बेहतर होगी, बल्कि समाज को भी एक बड़ा संदेश मिलेगा। इससे आने वाली पीढ़ियां प्रकृति से जुड़ेंगी और सतत विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।

बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की यह पहल शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण दोनों को जोड़ने वाली अनोखी कोशिश है। आज जब प्लास्टिक प्रदूषण, जल संकट और ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याएं मानव जीवन के लिए खतरा बन चुकी हैं, तब ऐसे प्रयास बच्चों के मन में हरित संस्कृति के बीज बोने का कार्य करेंगे।



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