ड्रोन तकनीक आज दुनिया के हर क्षेत्र में अपनी अहमियत साबित कर रही है, चाहे बात हो रक्षा क्षेत्र की, कृषि की, आपदा प्रबंधन की या फिर डिलीवरी सेवाओं की। ऐसे समय में सिंगापुर स्थित ठकराल कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने भारत में ड्रोन उद्योग के लिए नए अवसर खोलने का ऐलान किया है। कंपनी ने घोषणा की है कि उसकी बी2बी इकाई भारत स्काईटेक अब भारत में ड्रोन के कलपुर्जों का निर्माण और आपूर्ति करेगी।
ठकराल कॉर्पोरेशन के सीईओ और कार्यकारी निदेशक इंद्रबेथल सिंह ठकराल (बेथल) का कहना है कि दक्षिण एशिया, खासकर भारत में ड्रोन सेक्टर तेजी से विस्तार कर रहा है। रक्षा, सर्वेक्षण, कृषि और डिलीवरी जैसे क्षेत्रों में ड्रोन की मांग निरंतर बढ़ रही है। ऐसे में इस उद्योग में कलपुर्जों की स्थानीय उपलब्धता न केवल लागत घटाएगी बल्कि उत्पादन क्षमता को भी मजबूत करेगी।
भारत आज वैश्विक विनिर्माण हब बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। मेक इन इंडिया और ड्रोन नीति 2021 जैसी सरकारी पहल ने निवेशकों के लिए बड़ा भरोसा पैदा किया है। सरकार का लक्ष्य 2030 तक भारत को ड्रोन निर्माण का वैश्विक केंद्र बनाना है। इसके अलावा, कृषि क्षेत्र में ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी और नियमों में ढील भी दी जा रही है।
ठकराल कॉर्पोरेशन का यह निवेश भारत में रोजगार के नए अवसर पैदा करेगा। ड्रोन कलपुर्जों का घरेलू स्तर पर निर्माण होने से स्टार्टअप और स्थानीय कंपनियों को भी आसानी होगी। अब तक इन कलपुर्जों के लिए आयात पर निर्भरता रहती थी, लेकिन इस कदम से भारत आत्मनिर्भरता की ओर बड़ा कदम बढ़ाएगा। साथ ही, ड्रोन निर्माण में अत्याधुनिक तकनीक भारत में आएगी, जिससे स्थानीय इंजीनियरों और टेक्नोलॉजी विशेषज्ञों को सीखने और विकास का मौका मिलेगा।
भारत में ड्रोन के उपयोग की संभावनाएं असीमित हैं। निगरानी और युद्धक मिशनों में। उर्वरक छिड़काव, फसल सर्वेक्षण और स्मार्ट खेती। ई-कॉमर्स और मेडिकल सप्लाई चेन में तेजी। बाढ़, भूकंप जैसी आपदाओं में राहत कार्य। इन सभी क्षेत्रों में ड्रोन की बढ़ती मांग कंपनियों को निवेश के लिए आकर्षित कर रही है।
सिंगापुर की ठकराल कॉर्पोरेशन का भारत में ड्रोन कलपुर्जे बनाने का निर्णय न केवल व्यापारिक दृष्टिकोण से लाभकारी है बल्कि यह भारत के आत्मनिर्भरता और तकनीकी विकास की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। यह साझेदारी भारत को ड्रोन निर्माण का हब बनाने में अहम भूमिका निभा सकती है और आने वाले वर्षों में दक्षिण एशिया को ड्रोन तकनीक के क्षेत्र में नई ऊँचाइयों तक ले जाएगी।
