वोटर लिस्ट - हटाय गए वोटरों के घर-घर जाकर - अब भरवाए जा रहे हैं “फॉर्म 6”

Jitendra Kumar Sinha
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लोकतंत्र की सबसे अहम प्रक्रिया ‘मतदान’ तभी सफल हो सकती है, जब हर योग्य नागरिक का नाम सही ढंग से मतदाता सूची में दर्ज हो। लेकिन, फुलवारीशरीफ प्रखंड के धरायचक गांव में जब कई जीवित लोगों को मृत घोषित कर मतदाता सूची से हटा दिया गया, तो मामला तूल पकड़ गया। चुनाव आयोग ने तुरंत संज्ञान लिया और अब गड़बड़ी सुधारने के लिए घर-घर जाकर फॉर्म 6 भरवाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

धरायचक गांव स्थित बूथ संख्या 83 और 84 पर यह बड़ी गड़बड़ी सामने आई। जब शिकायतें मिलने लगीं कि जीवित लोग वोटर लिस्ट से गायब हैं और उन्हें मृत दिखा दिया गया है, तो निर्वाचन आयोग ने तुरंत जांच करवाई। इस लापरवाही के लिए बीएलओ राजू चौधरी को हटाकर निलंबित कर दिया गया। उनके साथ काम कर रहे दिनेश मांझी को शेष काम पूरा करने की जिम्मेदारी दी गई। वहीं, आयोग ने पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए मंसूर आलम को नया बीएलओ नियुक्त किया है, जो जल्द ही कार्यभार संभालेंगे।

लापरवाही के दाग को मिटाने और मतदाताओं का भरोसा लौटाने के लिए अब बीएलओ घर-घर जाकर लोगों का नाम, पता और आवश्यक दस्तावेज इकट्ठा कर रहे हैं। फॉर्म 6, जो कि मतदाता सूची में नाम जोड़ने या पुनः दर्ज करने के लिए इस्तेमाल होता है, उसे मौके पर भरवाया जा रहा है। दिनेश मांझी के अनुसार, शुक्रवार को ही लगभग 25 से 30 लोगों का फॉर्म 6 भरवाया गया है।

गांव के कई लोगों ने कहा कि यह घटना उनके लिए चौंकाने वाली और निराशाजनक थी, क्योंकि चुनावी अधिकार हर नागरिक का संवैधानिक हक है। जीवित रहते हुए खुद को मृत सूची में देखना न केवल अपमानजनक है, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर भी सवाल उठाता है। अब जब अधिकारी खुद घर-घर पहुंचकर नाम दर्ज करवा रहे हैं, तो लोगों को भरोसा है कि आगामी चुनाव में उनकी आवाज और वोट दोनों सुरक्षित रहेंगे।

निर्वाचन आयोग की तत्परता और त्वरित कार्रवाई ने यह संदेश दिया है कि गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अगर ऐसी सतर्कता हर स्तर पर बनी रहे, तो चुनाव प्रक्रिया और भी पारदर्शी, निष्पक्ष और भरोसेमंद बन सकती है। 

धरायचक गांव की यह घटना लोकतंत्र के प्रहरी संस्थानों के लिए एक चेतावनी है। समय रहते सुधार की कोशिशें जारी हैं और लोगों को यह भरोसा दिलाया जा रहा है कि उनका नाम, पहचान और वोट दोनों ही सुरक्षित हैं।

अब देखना होगा कि नए बीएलओ मंसूर आलम की जिम्मेदारी और आयोग की निगरानी में आने वाले दिनों में यह प्रक्रिया कितनी पारदर्शी ढंग से पूरी होती है।



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