बिहार में सरसों, लीची, सहजन और जामुन से बन रहा है शहद

Jitendra Kumar Sinha
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बिहार अपनी उपजाऊ भूमि और प्राकृतिक संसाधनों के लिए हमेशा से प्रसिद्ध रहा है। अब राज्य ने कृषि और उद्यानिकी क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि दर्ज की है। शहद उत्पादन में बिहार देशभर में चौथे स्थान पर पहुंच गया है। सरसों, लीची, सहजन (मोरिंगा), जामुन जैसी फसलों से यहां शहद उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।

पिछले दस सालों में शहद उत्पादन में बिहार ने 177 प्रतिशत की शानदार छलांग लगाई है। पहले जहां लगभग 15 हजार मीट्रिक टन शहद का उत्पादन होता था, वहीं अब यह बढ़कर 18 हजार मीट्रिक टन से अधिक हो गया है। देश स्तर पर शहद उत्पादन में बिहार की भागीदारी 12.3 प्रतिशत तक पहुंच गई है। यह न केवल राज्य के किसानों की मेहनत और प्रगतिशील सोच का परिणाम है बल्कि कृषि विभाग की योजनाओं और अनुकूल जलवायु का भी बड़ा योगदान है।

बिहार में शहद की खासियत यह है कि यहां अलग-अलग फसलों से अलग-अलग स्वाद और औषधीय गुणों वाला शहद तैयार होता है। सरसों का शहद हल्के पीले रंग और सौम्य स्वाद वाला होता है, यह पाचन के लिए लाभकारी है। लीची का शहद मीठा, सुगंधित और पोषण से भरपूर होता है, जो ऊर्जा का बेहतरीन स्रोत है। सहजन (मोरिंगा) का शहद औषधीय गुणों से भरपूर होता है, जिसे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में खास माना जाता है। जामुन का शहद मधुमेह रोगियों के लिए लाभकारी और रक्त शुद्ध करने वाला होता है। इन विभिन्न स्वादों और गुणों के कारण बिहार का शहद न सिर्फ देशभर में बल्कि विदेशों में भी लोकप्रियता हासिल कर रहा है।

शहद उत्पादन में बढ़ोतरी से बिहार के हजारों किसानों को नई आजीविका का अवसर मिला है। मधुमक्खी पालन ग्रामीण इलाकों में एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में तेजी से उभर रहा है। पारंपरिक खेती के साथ-साथ शहद उत्पादन किसानों के लिए अतिरिक्त आमदनी का जरिया बन रहा है।

बिहार की जलवायु शहद उत्पादन के लिए बेहद अनुकूल है। यहां की विविध वनस्पतियां और प्रचुर प्राकृतिक संसाधन मधुमक्खियों को परागण के लिए उपयुक्त वातावरण प्रदान करता है। यही कारण है कि यहां उत्पादित शहद का स्वाद और गुणवत्ता दोनों उच्च स्तर के माना जाता है। 

कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में बिहार शहद उत्पादन में और भी आगे बढ़ सकता है। राज्य सरकार भी मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है। यदि आधुनिक तकनीक और मार्केटिंग को और मजबूती दी जाए तो बिहार देश ही नहीं, दुनिया में शहद निर्यात का एक बड़ा केंद्र बन सकता है।

बिहार का शहद अब सिर्फ मीठास का प्रतीक नहीं रहा, बल्कि यह किसानों की खुशहाली और राज्य की कृषि समृद्धि का प्रतीक बन गया है। सरसों, लीची, सहजन और जामुन जैसे फलों-फसलों से तैयार होने वाला यह शहद बिहार की पहचान को और भी खास बना रहा है। आने वाले समय में "बिहार का शहद" एक ब्रांड के रूप में देश-विदेश में और अधिक लोकप्रिय होगा।



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