बिहार अपनी उपजाऊ धरती और समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों के लिए जाना जाता है। इन्हीं संसाधनों में एक है मखाना, जिसे "बिहार का शाही अनाज" भी कहा जाता है। अब राज्य सरकार ने मखाना उत्पादन को नई उड़ान देने के लिए बड़ा कदम उठाया है।
उपमुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने घोषणा की कि बिहार सरकार ने एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत मखाना अवयवों की योजना को स्वीकृति दे दी है। इस योजना का लक्ष्य है कि मखाना की खेती को अधिक से अधिक जिलों तक फैलाया जाए और किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि हो।
इस योजना का लाभ बिहार के कुल 16 जिलों के किसानों को मिलेगा। इसमें शामिल हैं- कटिहार, पूर्णिया, दरभंगा, मधुबनी, किशनगंज, सुपौल, अररिया, मधेपुरा, सहरसा, खगड़िया, समस्तीपुर, भागलपुर, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण और मुजफ्फरपुर। यह वह जिला है जहां जलवायु और भौगोलिक स्थिति मखाना की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है।
योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए 16 करोड़ 99 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। यह धनराशि किसानों को तकनीकी सहयोग, बीज उपलब्धता, प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना और प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर खर्च की जाएगी।
मखाना खेती का दायरा बढ़ने से किसानों को अतिरिक्त आय का स्रोत मिलेगा। मखाना से बनने वाले फ्लेवरयुक्त उत्पाद, पॉप्स और मिठाइयां किसानों को बाजार में बेहतर मूल्य दिलाएंगी। स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। मखाना का निर्यात बढ़ने से बिहार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगा।
इस योजना को वित्तीय वर्ष 2025-26 और 2026-27 तक लागू किया जाएगा। यानि आने वाले दो वर्षों में इन 16 जिलों में मखाना उत्पादन और प्रसंस्करण का व्यापक नेटवर्क तैयार हो जाएगा।
मखाना सिर्फ एक फसल नहीं है बल्कि बिहार की सांस्कृतिक और आर्थिक धरोहर है। वैश्विक स्तर पर बिहार का मखाना अपनी गुणवत्ता और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। यह न केवल स्वादिष्ट स्नैक है, बल्कि आयुर्वेदिक दृष्टि से भी लाभकारी माना जाता है।
बिहार सरकार की यह पहल निश्चित रूप से किसानों की आर्थिक मजबूती और राज्य के कृषि परिदृश्य में बड़ा बदलाव लाएगी। मखाना की खेती से बिहार के ग्रामीण इलाकों में खुशहाली फैलेगी और यह अनाज बिहार की पहचान को और मजबूत करेगा।
