बिना सीमेंट-गारे के बनीं - “इन्गुशेतिया की मीनारें”

Jitendra Kumar Sinha
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रूस का इन्गुशेतिया गणराज्य अपनी प्राकृतिक खूबसूरती, पहाड़ी इलाकों और प्राचीन ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है। इसमें सबसे विशेष हैं यहां की पत्थरों से बनीं ऊंची-ऊंची मीनारें, जो देखने वालों को हैरान कर देती हैं। आश्चर्य की बात यह है कि इन मीनारों का निर्माण बिना सीमेंट और गारे के किया गया था। केवल पत्थरों को बारीकी से तराशकर और जोड़कर इन्हें खड़ा कर दिया गया, जो आज भी मजबूती से खड़ी हैं।

काकेशस पर्वत श्रृंखला में बसा इन्गुशेतिया एक छोटा-सा गणराज्य है, जो चेचन्या और जॉर्जिया से घिरा हुआ है। इस क्षेत्र की सबसे अनोखी पहचान उसकी मीनारें हैं। ये मीनारें केवल स्थापत्य कला की मिसाल नहीं, बल्कि इस इलाके की संस्कृति, सुरक्षा और सामूहिक जीवनशैली का प्रतीक भी हैं।

आज जब आधुनिक निर्माण में सीमेंट और लोहे की भूमिका सबसे अहम है, उस दौर में बिना किसी गारे या आधुनिक साधन के सिर्फ पत्थरों को जोड़कर ऊंची-ऊंची मीनारें खड़ी करना अद्वितीय इंजीनियरिंग का उदाहरण है। कारीगरों ने पत्थरों को इस तरह काटा और सजाया कि वे एक-दूसरे में सटीक रूप से फिट हो जाएं। यही कारण है कि सदियों बीत जाने के बाद भी ये मीनारें समय की मार झेलते हुए मजबूती से खड़ी हैं।

इन मीनारों का निर्माण केवल वास्तुकला दिखाने के लिए नहीं किया गया था। इसका कई उद्देश्य था सीमावर्ती क्षेत्रों में दुश्मनों से बचाव। कुछ मीनारों का इस्तेमाल परिवारों के रहने के लिए किया जाता था। यह स्थानीय समाज की शक्ति, एकता और शिल्पकला का प्रतीक माना जाता था। 

इन्गुशेतिया की मीनारें ऊंचाई में 20 से 30 मीटर तक होती थीं। इसका आधार चौड़ा और ऊपर की ओर पतला होता था, जिससे संतुलन बना रहे। खिड़कियों और दरवाजों को भी पत्थरों से बेहद सटीक ढंग से तराशकर लगाया जाता था। कहीं-कहीं मीनारों के ऊपरी हिस्से पर सजावटी पैटर्न और चिह्न भी पाए जाते हैं।

कहा जाता है कि ये मीनारें मध्ययुगीन काल (12वीं से 17वीं शताब्दी) के बीच बनाई गई थीं। उस समय इन्गुशेतिया कई बार युद्धों और संघर्षों का मैदान बना। यही कारण है कि इन मीनारों को मजबूत और ऊंचा बनाया गया, ताकि दुश्मनों पर नजर रखी जा सके। आज ये मीनारें इन्गुशेतिया की सांस्कृतिक विरासत और पर्यटन आकर्षण का बड़ा हिस्सा हैं।

हालांकि समय और संघर्षों के कारण कई मीनारें क्षतिग्रस्त हो चुका है, फिर भी जो बची हुई हैं, वे लोगों को उस युग की महानता और कला कौशल की झलक दिखाता है। रूस सरकार और स्थानीय संगठन अब इन मीनारों को संरक्षित करने और विश्व धरोहर सूची में शामिल कराने का प्रयास कर रहे हैं।

इन्गुशेतिया की ये मीनारें केवल पत्थरों का ढेर नहीं, बल्कि मानव कौशल, साहस और दूरदर्शिता की जीती-जागती मिसाल हैं। बिना सीमेंट-गारे के बनी ये संरचनाएं आज भी दुनिया को चौंकाती हैं और याद दिलाती हैं कि असली इंजीनियरिंग केवल आधुनिक तकनीक पर नहीं, बल्कि मानव की सूझ-बूझ और सृजनशीलता पर आधारित होती है।



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