माउंट फूजी पर चढ़ा - 102 वर्ष की उम्र में बुजुर्ग योद्धा - “कोकिची आकुजावा”

Jitendra Kumar Sinha
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जिन्दगी का असली मजा वही ले पाता है, जो हौसले और जुनून को उम्र की सीमाओं से बड़ा मानता है। जापान के 102 वर्षीय “कोकिची आकुजावा” ने इसी सोच को सच कर दिखाया। उन्होंने जापान की सबसे ऊंची चोटी माउंट फूजी (3,776 मीटर) पर सफल चढ़ाई कर इतिहास रच दिया। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड में नाम दर्ज करवाने वाले वे दुनिया के सबसे बुजुर्ग पर्वतारोही बन गए हैं।

“कोकिची आकुजावा” की यह उपलब्धि इसलिए और भी प्रेरणादायी है क्योंकि वे दिल की बीमारी से जूझ रहे हैं। कुछ महीनों पहले पहाड़ पर चढ़ते हुए वे गिर गए थे और अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था। डॉक्टरों ने उन्हें आराम की सलाह दी, लेकिन उनके जज्बे ने उन्हें पीछे नहीं हटने दिया। उन्होंने एक बार फिर तैयारी शुरू की और साबित किया कि सच्चा जज्बा हर मुश्किल को मात दे सकता है।

“कोकिची आकुजावा” भले ही उम्रदराज है, लेकिन उनकी दिनचर्या किसी पेशेवर खिलाड़ी जैसी रही है। वे रोजाना एक घंटे पैदल चलते थे। हफ्ते में एक दिन पहाड़ पर चढ़ाई करते थे। साधारण जीवन जीते हुए भी अनुशासन को उन्होंने अपनी सबसे बड़ी ताकत बनाया। इसी अभ्यास ने उन्हें 102 साल की उम्र में भी पहाड़ों की ऊंचाइयों को छूने का साहस दिया।

इस बार माउंट फूजी की चढ़ाई में उन्हें कुल तीन दिन लगे। बीच-बीच में वे पहाड़ पर बनी झोपड़ियों में दो रातें रुके। यह यात्रा उनके लिए नई नहीं थी, क्योंकि वे सालों पहले भी यहां चढ़ चुके थे। लेकिन 102 की उम्र में इस कारनामे को दोहराना अपने आप में एक अद्भुत उदाहरण है।

इस अभियान में उनकी नातिन भी उनके साथ थीं, जो पेशे से नर्स हैं। उन्होंने “कोकिची आकुजावा” का पूरा ध्यान रखा और हर कदम पर हिम्मत बंधाई। पारिवारिक सहयोग और आत्मबल ने इस ऐतिहासिक सफर को और भी खास बना दिया।

आज जब युवा वर्ग छोटी-सी मुश्किल पर हार मान लेता है, वहीं “कोकिची आकुजावा” की कहानी यह बताती है कि सच्ची ताकत उम्र में नहीं, बल्कि इरादों में होती है। अगर स्वास्थ्य कमजोर है तो भी नियमित अभ्यास और सकारात्मक सोच से हर चुनौती का सामना किया जा सकता है। जीवन को अर्थपूर्ण और प्रेरक बनाने के लिए जरूरी है कि सपनों को कभी अधूरा न छोड़ें।

“कोकिची आकुजावा” ने दुनिया को दिखा दिया है कि "उम्र सिर्फ एक संख्या है"। उनका हौसला और जुनून आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा। माउंट फूजी की ऊंचाई पर पहुंचकर उन्होंने यह साबित कर दिया कि अगर मन में ठान लो तो जीवन की हर चोटी फतह किया जा सकता है।

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