पुनपुन पितृपक्ष मेला 2025 - श्रद्धालुओं को पहली बार मिलेगा लक्ष्मण झूला का अनुभव

Jitendra Kumar Sinha
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बिहार की धरती पर हर वर्ष आयोजित होने वाला पुनपुन पितृपक्ष मेला आस्था और श्रद्धा का अनोखा संगम माना जाता है। इस वर्ष यह अंतरराष्ट्रीय मेला 6 सितंबर से 21 सितंबर तक आयोजित होगा। विशेष बात यह है कि इस बार श्रद्धालुओं और पर्यटकों को एक नई सुविधा का अनुभव मिलेगा लक्ष्मण झूला समतुल्य “केबल सस्पेंशन ब्रिज”।

पुनपुन नदी पर लगभग तैयार हो चुका यह आधुनिक केबल ब्रिज श्रद्धालुओं के लिए मेला का सबसे बड़ा आकर्षण होगा। जिलाधिकारी ने मेला स्थल का निरीक्षण करते हुए कहा है कि बिहार राज्य पुल निर्माण निगम इस पुल को अंतिम रूप देने में जुटा है। कार्यपालक अभियंता को निर्देश दिया गया है कि शेष कार्य शीघ्र पूरा हो ताकि श्रद्धालु इसका लाभ ले सके। यह पुल न केवल श्रद्धालुओं की आवाजाही को सरल बनाएगा बल्कि पर्यटकों को एक नया अनुभव भी देगा।

जिलाधिकारी ने साफ कहा है कि मेला स्थल पर आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की सुविधा सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। उन्होंने अनुमंडल पदाधिकारी और अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, मसौढ़ी को मेला का नोडल पदाधिकारी नियुक्त किया है। वहीं नगर पंचायत पुनपुन को निर्देश दिया गया है कि पहले से लगाए गए सभी एलईडी हाई-मास्ट लाइट्स सुचारु रूप से जलते रहें।

श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा के लिए विशेष इंतजाम किया जा रहा है। मेला क्षेत्र में अस्थायी नियंत्रण कक्ष बनाया जाएगा। पर्यटक सहायता-सह-सुविधा केंद्र (हेल्पलाइन “मे आई हेल्प यू” काउंटर) स्थापित किया जाएगा। पूरे मेला क्षेत्र में वीडियो कैमरा और सीसीटीवी निगरानी होगी। श्रद्धालुओं के ठहराव के लिए अस्थायी टेंट का निर्माण किया जाएगा। इन सब व्यवस्थाओं से उम्मीद किया जा रहा है कि इस बार का पितृपक्ष मेला और भी सुचारु और भव्य रूप में संपन्न होगा।

पुनपुन पितृपक्ष मेला अपने धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि यहां पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार पर आशीर्वाद बना रहता है। यही कारण है कि हर साल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं।

पुनपुन का यह मेला सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह बिहार की आस्था, परंपरा और सांस्कृतिक गौरव का परिचायक है। इस बार लक्ष्मण झूला की सुविधा श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक नया अध्याय जोड़ने जा रहा है। बेहतर व्यवस्थाओं और आधुनिक सुविधाओं के साथ यह मेला निश्चय ही ऐतिहासिक रूप धारण करेगा।



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