30 नवंबर तक सभी विश्वविद्यालयों को देनी होगी भ्रष्टाचार रोकथाम संबंधी रिपोर्ट

Jitendra Kumar Sinha
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शिक्षा किसी भी समाज की सबसे बड़ी पूंजी है। लेकिन जब यही व्यवस्था भ्रष्टाचार की चपेट में आती है, तो न केवल शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों का भविष्य भी खतरे में पड़ जाता है। इसी समस्या के समाधान के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को सख्त निर्देश दिया है कि वे 30 नवंबर तक भ्रष्टाचार रोकथाम संबंधी रिपोर्ट अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करें।

यूजीसी का यह कदम केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के निर्देशों के अनुरूप है। आयोग का स्पष्ट मानना है कि शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता, जवाबदेही और ईमानदारी को स्थापित करना अत्यंत आवश्यक है। इसी दिशा में भ्रष्टाचार निवारण अभियान चलाने का आदेश दिया गया था, जो 18 अगस्त से 17 नवंबर 2025 तक चल रहा है।

इस दौरान विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को अपने-अपने संस्थानों में भ्रष्टाचार रोकने के लिए ठोस कदम उठाने, डिजिटल पहल को बढ़ावा देने और लंबित मामलों का शीघ्र निपटारा करने का निर्देश दिया गया है।

यूजीसी का जोर इस बात पर भी है कि अधिकतम प्रक्रियाओं को डिजिटल माध्यम से लागू किया जाए। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि अनावश्यक देरी और फाइलों में उलझाव की समस्या भी खत्म होगी। जैसे- ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया, पारदर्शी भर्ती तंत्र, ई-गवर्नेंस और डिजिटल पेमेंट्स, ऑनलाइन शिकायत निवारण प्रणाली। इन उपायों से भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के साथ-साथ छात्रों और शिक्षकों को सुविधाएं भी सहज रूप से उपलब्ध हो सकेगी।

यूजीसी ने स्पष्ट कर दिया है कि सभी विश्वविद्यालयों को अपनी गतिविधियों की रिपोर्ट यूजीसी के विवि गतिविधि निगरानी पोर्टल पर अपलोड करनी होगी। इससे यह पता चलेगा कि किस संस्थान ने भ्रष्टाचार निवारण संबंधी दिशानिर्देशों को गंभीरता से अपनाया है और किसने नहीं। यह प्रणाली जवाबदेही तय करने का एक सशक्त साधन बनेगी।

भ्रष्टाचार रोकथाम की इस पहल से उच्च शिक्षा संस्थानों को यह संदेश जाता है कि शिक्षा केवल ज्ञान का साधन नहीं, बल्कि नैतिकता और ईमानदारी का आधार भी है। यदि शिक्षण संस्थान खुद पारदर्शी और ईमानदार रहेंगे, तो वे छात्रों को भी इसी राह पर चलने की प्रेरणा देंगे।

यूजीसी का यह कदम शिक्षा प्रणाली में भरोसे और पारदर्शिता की नींव को मजबूत करेगा। यदि विश्वविद्यालय समय पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करता है और ईमानदारी से इन उपायों को लागू करता है, तो यह न केवल भ्रष्टाचार पर लगाम लगाएगा, बल्कि देश की शिक्षा व्यवस्था को और अधिक स्वच्छ, मजबूत और विश्वसनीय बनाएगा।



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