उत्तर कोरिया अपने राजनीतिक रहस्यों और बंद दरवाजों के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है, लेकिन इस रहस्यमयी देश की धरती पर एक ऐसा स्थल भी मौजूद है, जिसे प्रकृति और अध्यात्म दोनों का अद्भुत संगम माना जाता है। यह है “माउंट कुमगांग”, जिसे प्रेमपूर्वक “डायमंड माउंटेन” भी कहा जाता है। यह पर्वत उत्तर कोरिया के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में स्थित है और डिमिलिटराइज़्ड जोन (DMZ) से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर फैला है।
“माउंट कुमगांग” अपनी अनोखी पर्वतीय संरचना, घने जंगलों, झरनों और बदलते मौसमों के कारण बेहद खास माना जाता है। वसंत में खिले फूल, गर्मियों में हरे-भरे वृक्ष, शरद ऋतु में रंग-बिरंगे पत्ते और सर्दियों में बर्फ से ढकी चोटियाँ इसे सालभर मनमोहक बनाए रखती हैं। इसी कारण इसे चार ऋतुओं के चार अलग-अलग चेहरे वाले पर्वत के रूप में भी जाना जाता है। इसका चमकदार पत्थरीला रूप सूर्य की किरणों में हीरे की भांति दमकता है, जिससे इसे “डायमंड माउंटेन” नाम मिला।
सिर्फ प्राकृतिक सुंदरता ही नहीं, “माउंट कुमगांग” बौद्ध धर्म की प्राचीन धरोहरों का भी महत्वपूर्ण केंद्र है। यहाँ 6वीं शताब्दी के बौद्ध मंदिरों के अवशेष मौजूद हैं, जो उस समय के सांस्कृतिक वैभव की झलक दिखाते हैं। 17वीं शताब्दी के संत सोसन से जुड़े स्तूप और शिलालेख इस पर्वत को आध्यात्मिक महत्ता प्रदान करते हैं। यह स्थान सदियों से कोरियाई भिक्षुओं, संतों और साधकों के लिए ध्यान और साधना का स्थल रहा है। इन धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों ने इसे यूनेस्को की मिश्रित (सांस्कृतिक व प्राकृतिक) धरोहर सूची में शामिल करवाया।
“माउंट कुमगांग” कोरियाई संस्कृति में एक आध्यात्मिक प्रतीक की तरह है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इसकी शांत वादियाँ और झरने आत्मशुद्धि और ध्यान के लिए सर्वोत्तम माने जाते हैं। कला और साहित्य में भी इस पर्वत का उल्लेख बार-बार हुआ है। कोरियाई चित्रकारों और कवियों ने इसे स्वर्ग तुल्य बताया है।
उत्तर कोरिया में पर्यटन पर कड़े प्रतिबंध हैं, लेकिन “माउंट कुमगांग” उन गिने-चुने स्थलों में से है, जहाँ निर्देशित पर्यटन (Guided Tours) की अनुमति दी जाती रही है। दक्षिण कोरिया और अन्य देशों से आने वाले कुछ पर्यटक इसकी झलक पा चुके हैं। हालाँकि, सुरक्षा और राजनीतिक परिस्थितियों के चलते यहाँ यात्रा करना आसान नहीं है। फिर भी जो लोग यहाँ पहुँच पाते हैं, उनके लिए यह अनुभव प्रकृति और अध्यात्म की एक अनोखी यात्रा बन जाता है।
