मठ-मंदिरों से उठेगी नई सामाजिक चेतना - शिक्षा, स्वास्थ्य और अखाड़ों का होगा संगम

Jitendra Kumar Sinha
0



बिहार में धार्मिक और सामाजिक जीवन की धुरी रहे मठ-मंदिर अब केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं रहेगा। बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद ने एक ऐतिहासिक पहल की घोषणा की है, जिसके अंतर्गत मंदिरों और मठों को समाज सुधार, शिक्षा, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक चेतना के केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य मंदिरों को जन-जीवन से और अधिक जोड़ना तथा उन्हें आधुनिक दौर की जरूरतों के अनुरूप उपयोगी बनाना है।

परिषद के अध्यक्ष प्रो. रणबीर नंदन ने बताया है कि अब मंदिरों की भूमिका केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं रहेगी। इन्हें युवा पीढ़ी को शारीरिक, बौद्धिक और सांस्कृतिक रूप से सशक्त बनाने के केंद्र के रूप में तैयार किया जाएगा। 18 सितंबर को बापू सभागार में आयोजित होने वाले राज्यस्तरीय सम्मेलन से इस पहल की शुरुआत होगी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, विजय कुमार सिन्हा समेत संत-महात्मा और मठ–मंदिरों के प्रबंधक शामिल होंगे।

भारतीय संस्कृति में अखाड़ों की परंपरा सदियों पुरानी रही है। इन्हें केवल शारीरिक बल की जगह अनुशासन और एकता का प्रतीक माना गया है। परिषद ने घोषणा की है कि 18 से 25 वर्ष आयु वर्ग के युवाओं को जोड़ने के लिए मंदिर परिसरों में अखाड़े स्थापित किए जाएंगे। यहां नियमित रूप से कुश्ती, व्यायाम और योग का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे न केवल युवाओं का शरीर मजबूत होगा, बल्कि उनका मन भी स्वस्थ और अनुशासित बनेगा।

मठ-मंदिर परिसर अब निःशुल्क स्वास्थ्य शिविरों, आयुर्वेद केंद्रों और योग कक्षाओं के लिए भी उपयोग किए जाएंगे। इसका उद्देश्य ग्रामीण और गरीब तबके को सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना है। साथ ही, यहां शिक्षा और सांस्कृतिक गतिविधियों से जुड़ी कक्षाएं भी संचालित होगी, जिससे नई पीढ़ी अपनी जड़ों से जुड़ते हुए आधुनिक ज्ञान से भी संपन्न हो सके।

इस योजना का एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि मंदिर सांस्कृतिक चेतना के वाहक बनेंगे। लोक परंपराओं, भक्ति संगीत, कथा–प्रवचन और नाट्य आयोजनों के माध्यम से समाज में नैतिकता, सद्भाव और भाईचारे का संदेश प्रसारित किया जाएगा। इससे न केवल समाज में एकता मजबूत होगी बल्कि युवाओं को अपनी सांस्कृतिक धरोहर से भी गहरा लगाव होगा।

बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद का यह निर्णय मठ-मंदिरों की भूमिका को एक नई दिशा देने वाला है। जब यह केंद्र धार्मिक अनुष्ठानों के साथ–साथ शिक्षा, स्वास्थ्य और शारीरिक प्रशिक्षण का भी माध्यम बनेगा, तब निश्चित रूप से समाज में नई चेतना और ऊर्जा का संचार होगा। यह पहल परंपरा और आधुनिकता का सुंदर संगम है, जो बिहार को सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से और भी मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।



एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top