सितंबर के अंत में आम जनता के लिए खुलेगी - “पटना मेट्रो”

Jitendra Kumar Sinha
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बिहार की राजधानी पटना लंबे समय से एक ऐसी आधुनिक परिवहन प्रणाली का इंतजार कर रही थी, जो यहां की बढ़ती आबादी, जाम की समस्या और ट्रैफिक अव्यवस्था से निजात दिला सके। दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, बेंगलुरु और लखनऊ जैसे महानगरों में मेट्रो ने जिस तरह से आम लोगों की जिंदगी आसान की है, उसी तर्ज पर अब पटना भी मेट्रो की ओर कदम बढ़ा चुका है। पटना मेट्रो का ट्रायल रन शुरू हो गया है, जिसने राजधानीवासियों में नई उम्मीदें जगा दी हैं। उम्मीद है कि अगले महीने यानी सितंबर के अंत तक यह यात्रियों के लिए शुरू हो जाएगी।

पटना मेट्रो का खाका पहली बार 2009 में तैयार किया गया था। राजधानी की आबादी और यातायात दबाव को देखते हुए यह तय हुआ कि यहां मेट्रो नेटवर्क बिछाया जाए। लेकिन राजनीतिक अस्थिरता, फंडिंग की समस्या और योजना निर्माण की धीमी गति के कारण यह सपना लंबे समय तक अधूरा रह गया। 2011 में डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बनी। 2019 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पटना मेट्रो परियोजना की औपचारिक शुरुआत की। अब 2025 में, पहले चरण का ट्रायल शुरू होकर यह सपना हकीकत में बदल रहा है।

पटना मेट्रो परियोजना में कुल दो कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं, जिनकी कुल लंबाई लगभग 32.5 किलोमीटर होगी। (क) कॉरिडोर-1 आईएसबीटी से डेनापुर कैंट तक जिसकी लंबाई 17.9 किमी है और स्टेशन 14 है।  इसमें भूमिगत और एलीवेटेड दोनों प्रकार के ट्रैक होंगे। (ख) कॉरिडोर-2 पटना रेलवे स्टेशन से पटना जंक्शन होते हुए पटना सिटी तक जिसकी लंबाई 14.5 किमी है और स्टेशन 12 है। यह हिस्सा पूरी तरह भूमिगत होगा।

पहला चरण प्राथमिकता कॉरिडोर (आईएसबीटी – मलाही पकड़ी – खेमनीचक) पर ट्रायल शुरू हुआ है। इसमें 5 स्टेशन शामिल हैं- आईएसबीटी, जीरो माइल, भूतनाथ, मलाही पकड़ी और खेमनीचक। 

पटना मेट्रो पर लगभग 20,000 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। परियोजना का कार्य दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) को सौंपा गया है, जिसे भारत में मेट्रो निर्माण का सबसे अनुभवी संस्थान माना जाता है। निर्माण कार्य में एलीवेटेड ट्रैक, भूमिगत सुरंग, स्टेशन बिल्डिंग, सिग्नलिंग सिस्टम, बिजली आपूर्ति और अत्याधुनिक कंट्रोल रूम तैयार किए गए हैं। खेमनीचक इंटरचेंज स्टेशन इस परियोजना का सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण हिस्सा है।

सूत्रों के अनुसार, पटना मेट्रो का किराया ₹15 से ₹60 के बीच होगा। छोटी दूरी (2-3 किमी तक) ₹15, मध्यम दूरी (5-10 किमी तक) ₹30-₹40 और लंबी दूरी (पूरे कॉरिडोर) ₹60 होगा।  इसके अलावा, स्मार्ट कार्ड सिस्टम, मोबाइल ऐप के जरिए टिकट बुकिंग और डिजिटल पेमेंट की सुविधा भी दी जाएगी।

पटना की सड़कों पर जाम की समस्या किसी भी निवासी से छुपी नहीं है। राजधानी में रोज़ाना लगभग 12 लाख वाहन चलते हैं। संकरी सड़कें और बढ़ती गाड़ियों के कारण अक्सर घंटों ट्रैफिक जाम लगता है। खासकर बाईपास रोड, गांधी मैदान, एग्जीबिशन रोड, कंकड़बाग और स्टेशन रोड पर स्थिति बेहद खराब रहती है। मेट्रो शुरू होने के बाद लोगों को ट्रैफिक से बड़ी राहत मिलेगी। यात्रा का समय घटकर आधा रह जाएगा।

पटना मेट्रो केवल परिवहन व्यवस्था ही नहीं बदलेगी, बल्कि यह रोजगार और आर्थिक विकास का भी जरिया बनेगी। निर्माण कार्य में हजारों लोगों को रोजगार मिला है। संचालन शुरू होने के बाद स्थायी रूप से 5000 से ज्यादा लोगों को नौकरी मिलेगी। मेट्रो स्टेशन और उसके आसपास कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स, शॉपिंग एरिया और बिजनेस हब का विकास होगा।

बिहार में अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाला है। ऐसे में पटना मेट्रो का शुभारंभ नीतीश सरकार के लिए एक बड़ा राजनीतिक हथियार बन सकता है। विपक्ष लंबे समय से सरकार पर काम में देरी का आरोप लगाता रहा है। चुनाव से पहले इसका उद्घाटन कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी विकासशील छवि को मजबूत करना चाहते हैं। युवाओं और मध्यमवर्गीय मतदाताओं को लुभाने में यह परियोजना निर्णायक साबित हो सकती है।

ट्रायल रन शुरू हो गया है, लेकिन कुछ चुनौतियां अभी भी सामने हैं। खेमनीचक स्टेशन पर फिनिशिंग का काम अधूरा है। भूमिगत सुरंगों के निर्माण में तकनीकी कठिनाइयां है। ट्रैफिक डायवर्जन के कारण लोगों को असुविधा है। परियोजना की लागत लगातार बढ़ रही है।

पटना के लोगों में मेट्रो को लेकर जबरदस्त उत्साह है। कॉलेज छात्र-छात्राएं इसे सुविधाजनक और सस्ता मान रहे हैं। नौकरीपेशा लोग कहते हैं कि ट्रैफिक जाम से अब निजात मिलेगी। व्यापारी समुदाय को उम्मीद है कि मेट्रो स्टेशन के आसपास बाजार और ग्राहकों की आवाजाही बढ़ेगी।

पटना मेट्रो के शुरू होने से बिहार की राजधानी स्मार्ट सिटी मिशन के तहत एक बड़े बदलाव की ओर बढ़ेगी। स्वच्छ और पर्यावरण हितैषी सार्वजनिक परिवहन। प्रदूषण में कमी। समय की बचत। आधुनिक जीवनशैली की ओर बदलाव।

पटना मेट्रो सिर्फ एक परिवहन परियोजना नहीं है, बल्कि यह बिहार की राजधानी के लिए आधुनिकता और विकास की पहचान बनने जा रही है। यह केवल गाड़ियों और ट्रैफिक से मुक्ति नहीं दिलाएगी, बल्कि रोजगार, व्यापार और सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों को भी नई गति देगी।

लंबे इंतजार के बाद आज जब पटना मेट्रो ट्रायल रन पर पटरी पर दौड़ी है, तो यह केवल एक ट्रेन नहीं बल्कि पूरे बिहार की आकांक्षाओं की रफ्तार है। अब बस राजधानीवासियों को इसका बेसब्री से इंतजार है कि सितंबर के अंत में जब यह आम जनता के लिए खुलेगी, तो सचमुच "पटना मेट्रो" उनके सपनों को हकीकत में बदल देगी।



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