दुनिया के नक्शे पर दर्ज हर देश का एक आधिकारिक नाम होता है, लेकिन इन नामों की कहानी अक्सर एक नहीं होती है। किसी देश को दुनिया अलग-अलग नामों से पुकारती है। कई बार इन नामों का संबंध उस देश की भाषा, इतिहास, भूगोल, संस्कृति या बाहरी शक्तियों के प्रभाव से होता है। यह नाम न केवल उनकी पहचान के वाहक हैं, बल्कि उनमें इतिहास की परतें, औपनिवेशिक अतीत, धार्मिक मान्यताएं और भाषाई विविधताएं भी छुपी होती हैं।
भारत :- भारत जैसे देशों को जहां संविधान में ही दो नाम (भारत और इंडिया) मिला है, वहीं कुछ देशों के तीन से भी अधिक लोकप्रिय नाम हैं। ‘भारत’ नाम हमारे देश की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत से जुड़ा है। यह नाम महाभारत और पुराणों में प्रसिद्ध चक्रवर्ती सम्राट भरत के नाम पर पड़ा। संविधान के अनुच्छेद 1 में कहा गया है, "भारत, अर्थात इंडिया, राज्यों का एक संघ होगा।" 'इंडिया' नाम की जड़ सिंधु नदी में है। यूनानी इसे 'इंडोस' कहते थे और पर्शियन में यह 'हिंद' बन गया। बाद में अंग्रेजों ने इसे 'इंडिया' कहा। हिंदुस्तान शब्द मध्यकाल में विशेषतः मुगलों और तुर्कों द्वारा प्रयोग में लाया गया। यह ‘हिंद’ (सिंधु के उस पार) और ‘स्थान’ (जगह) से मिलकर बना है। प्राचीन भारतीय ग्रंथों में भारत को 'जम्बूद्वीप' कहा गया है, जो मान्यता अनुसार विश्व के नौ द्वीपों में से एक था। यह भूगोल और पौराणिक विश्वासों का मेल है।
जापान :- जापानी भाषा में देश का नाम है जिसे 'निप्पॉन' या 'निहोन' पढ़ा जाता है। इसका अर्थ है – "सूर्य का उद्गम", इसलिए इसे 'लैंड ऑफ द राइजिंग सन' भी कहते हैं। अंग्रेजी नाम 'Japan' चीनी उच्चारण 'रि-बेन' (Ri-ben) से आया है, जिसे पुर्तगालियों ने जापांग (Japang) कहा और फिर यह जापान बन गया।
नीदरलैंड्स :- इस देश का आधिकारिक नाम 'नीदरलैंड्स' है, जिसका अर्थ है ‘नीची भूमि’। यह देश समुद्र तल से नीचे स्थित है। ‘हॉलैंड’ वास्तव में नीदरलैंड्स के दो प्रमुख प्रांतों, उत्तरी हॉलैंड और दक्षिणी हॉलैंड, का नाम है। यही दो क्षेत्र ऐतिहासिक, आर्थिक और राजनीतिक दृष्टि से इतने महत्वपूर्ण रहे हैं कि संपूर्ण देश को ही हॉलैंड कहा जाने लगा।
बर्मा :- अंग्रेजों ने इस दक्षिण एशियाई देश को ‘बर्मा’ नाम दिया जो बहुसंख्यक ‘बमर’ (Bamar) जातीय समूह से प्रेरित था। 1989 में सैन्य सरकार ने देश का आधिकारिक नाम ‘म्यांमार’ कर दिया। यह अधिक समावेशी नाम माना गया क्योंकि यह सभी जातीय समूहों का प्रतिनिधित्व करता है।
सीलोन :- यह नाम पुर्तगालियों और फिर अंग्रेजों द्वारा दिया गया था। भारत के साथ सांस्कृतिक जुड़ाव के बावजूद, उपनिवेशवाद ने इस नाम को थोप दिया। 1972 में स्वतंत्र गणराज्य बनने के बाद ‘श्रीलंका’ नाम अपनाया गया। संस्कृत शब्दों से बना यह नाम ‘पवित्र द्वीप’ का संकेत देता है।
चीनी :- चीनी भाषा में चीन का नाम ‘Zhongguo’ है, जिसका अर्थ है ‘मध्य साम्राज्य’। यह इस विश्वास से जुड़ा है कि चीन ही दुनिया का केंद्र है। ‘चायना’ शब्द संभवतः ‘छिन’ (Qin) वंश से आया है, जिसने पहला एकीकृत चीनी साम्राज्य बनाया था। यह नाम भारतीयों और अंग्रेजों द्वारा प्रचलित किया गया।
कोरिया :- दक्षिण कोरिया को कोरियाई भाषा में (Daehan Minguk) यानि ‘महान हान का राज्य’ कहा जाता है। वहीं उत्तर कोरिया (Democratic People's Republic of Korea) कहलाता है, जिसे संक्षेप में ‘चोसोन’ भी कहा जाता है। ‘कोरिया’ नाम 'गोर्येओ' (Goryeo) से आया है, जो 10वीं शताब्दी में एक राजवंश था। यही नाम बाद में अंग्रेजी में Korea बन गया।
जर्मनी :- जर्मन भाषा में जर्मनी को डॉयचलैंड कहते हैं, जिसका अर्थ है ‘लोगों की भूमि’। अंग्रेजी में यह नाम लैटिन शब्द ‘जर्मानिया’ से आया है। रूसियों द्वारा ‘निम्स्को’ कहा जाता है, जिसका मूल अर्थ है ‘जो बोल नहीं पाता’ यानी गैर-रूसी। फ्रांसीसी इसे ‘Allemagne’ कहते हैं, जो जर्मन जनजाति ‘Alamanni’ से लिया गया है।
मिस्र :- अरबी में इसे ‘मिस्र’ कहते हैं, जो कुरान और इस्लामी परंपराओं से जुड़ा है। प्राचीन मिस्र में इसका नाम ‘किमेट’ था, जिसका अर्थ है – 'काली भूमि'। यह नील नदी की उपजाऊ मिट्टी को दर्शाता है। अंग्रेजी नाम ‘Egypt’ यूनानी नाम ‘Aigyptos’ से आया, जो नील नदी की भूमि के लिए प्रयुक्त था।
यूनान :- ग्रीक लोग अपने देश को ‘हेलास’ या ‘एलेडा’ कहते हैं। यह नाम उनकी पौराणिक और सांस्कृतिक विरासत से जुड़ा है। भारतीय उपमहाद्वीप और फारस में इसे ‘यूनान’ कहा जाता है। यह नाम संभवतः 'आईओनियन' (Ionian Greeks) से उत्पन्न हुआ, जो एशिया माइनर के पास रहते थे।
स्विट्जरलैंड :- स्विट्जरलैंड के चार आधिकारिक नाम हैं: जर्मन में 'Schweiz', फ्रेंच में 'Suisse', इटालियन में 'Svizzera', और रोमांश में 'Svizra'। यह नाम रोमन काल के एक प्राचीन जातीय समूह ‘Helvetii’ से लिया गया है। आज भी स्विस सिक्कों और टिकटों पर ‘Helvetia’ अंकित होता है।
तुर्की :- आधिकारिक रूप से अब 'Türkiye' कहा जाता है। पहले 'Turkey' शब्द से लोगों को ‘टर्की पक्षी’ की याद आती थी, जिसे बदलने का प्रयास किया गया।
थाईलैंड :- पहले ‘सियाम’ (Siam) कहलाता था। 1939 में इसे 'थाईलैंड' कहा गया, जिसका अर्थ है – "स्वतंत्र लोगों की भूमि"।
ईरान :- पहले इसे 'पर्शिया' कहा जाता था। 1935 में रजा शाह पहलवी ने इसे ‘ईरान’ घोषित किया, जो ‘आर्यन भूमि’ का प्रतीक है।
देशों के नाम सिर्फ भौगोलिक पहचान नहीं होता है, यह संस्कृति, इतिहास, राजनीति और यहां तक कि शक्ति संतुलन के प्रतीक भी होता है। नाम बदलना सिर्फ औपचारिकता नहीं होती है, वह एक सांस्कृतिक आंदोलन भी होता है, जैसे- बर्मा से म्यांमार, सीलोन से श्रीलंका या इंडिया से भारत कहने की मांग।
