भारत की आईटी इंडस्ट्री में एक नया दौर शुरू हो चुका है, और इसका सीधा संदेश है "नई तकनीक सीखो, वरना नौकरी से हाथ धो बैठोगे।" आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और जनरेटिव एआई जैसी नई टेक्नोलॉजीज ने न सिर्फ काम करने का तरीका बदल दिया है, बल्कि उन स्किल्स का मूल्य भी गिरा दिया है जो अब तक उद्योग में प्रासंगिक माना जाता था।
आईटी क्षेत्र के शीर्ष कंपनियों ने संकेत दे दिया है कि पुराने ढर्रे पर काम करने वाले कर्मचारियों के लिए अब राह आसान नहीं है। नैस्कॉम (NASSCOM) की रिपोर्ट के अनुसार, नई तकनीकों के आगमन से कंपनियों को वर्कफोर्स का पुनर्गठन (Workforce Restructuring) करना पड़ रहा है। जिन कर्मचारियों में खुद को अपग्रेड करने की ललक नहीं है, वे धीरे-धीरे इस रेस से बाहर हो सकते हैं।
पहले कंपनियां कॉलेज से हायरिंग करते समय सिर्फ डिग्री या नंबरों को महत्व देती थी, लेकिन अब "सीखने की क्षमता" को सबसे अहम माना जा रहा है। अनुभव और उम्र के बावजूद, यदि कोई व्यक्ति नई तकनीक नहीं सीख पा रहा है, तो उसकी नौकरी खतरे में पड़ सकता है।
एआई (AI), जनरेटिव एआई, डेटा साइंस, साइबर सिक्योरिटी, क्लाउड कंप्यूटिंग, और मशीन लर्निंग क्षेत्रों में विशेषज्ञों की भारी मांग है। कंपनियां चाहती हैं कि कर्मचारी न सिर्फ इन तकनीकों को जानें, बल्कि उन्हें व्यावसायिक समस्याओं के समाधान में भी लागू कर सके।
अपस्किलिंग का मतलब है वर्तमान भूमिका में और बेहतर करने के लिए नई चीजें सीखना, जबकि रिस्किलिंग का अर्थ है नई भूमिका के लिए पूरी तरह से नए कौशल सीखना। आईटी कंपनियां अपने कर्मचारियों को इन दोनों ही मोर्चों पर प्रशिक्षित कर रही हैं, लेकिन अंतिम जिम्मेदारी व्यक्ति की खुद की होती है।
तकनीक का दौर बेहद तेज़ी से बदल रहा है। जो आज नया है, वह कल पुराना हो जाएगा। ऐसे में, "सीखते रहो" ही वह मंत्र है जो न केवल नौकरी बचाएगा, बल्कि करियर को भी ऊंचाइयों तक पहुंचाएगा।
