भारत में हर साल लाखों लोग सर्पदंश (साँप के काटने) का शिकार होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में सर्पदंश की घटनाएं सबसे अधिक दर्ज होती हैं और इनसे हजारों लोगों की जान चली जाती है। ऐसे में एंटी-वेनम (Anti-Venom) यानि सांप के जहर से बनने वाली दवा का महत्व और भी बढ़ जाता है। अब मध्यप्रदेश के उज्जैन संभाग के आगर जिले में देश का दूसरा “स्नेक वेनम एक्सटेंशन सेंटर” बनने जा रहा है। यह कदम न केवल प्रदेश बल्कि पड़ोसी राज्यों के लिए भी जीवनदायी साबित होगा।
तमिलनाडु के बाद आगर में बनने वाला यह स्नेक वेनम एक्सटेंशन सेंटर देश का दूसरा होगा। यह मध्यप्रदेश का पहला ऐसा संस्थान होगा, जहां वैज्ञानिक तरीके से सांपों के ज़हर की संरचना का अध्ययन और उससे सीरम तैयार करने की प्रक्रिया होगी। इस सेंटर में एक साथ 300 सांपों को रखा जा सकेगा और प्रत्येक प्रजाति के लगभग 500 सांपों को रखने की अनुमति भी वन विभाग ने दी है।
फिलहाल भारत में उपलब्ध एंटी-वेनम मुख्य रूप से दक्षिण भारत के सांपों के जहर पर आधारित है। लेकिन यह सीरम मध्य भारत के सांपों के लिए पूरी तरह प्रभावी नहीं होता। यही कारण है कि जब मध्यप्रदेश या राजस्थान-गुजरात के लोग सर्पदंश के शिकार होते हैं, तो दवा का असर सीमित रह जाता है। आगर में तैयार होने वाला ‘स्टेट-स्पेसिफिक सीरम’ इन इलाकों में जीवन बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
भारत में हर साल करीब 5 लाख लोग सर्पदंश का शिकार होते हैं और इनमें से लगभग 58,000 लोगों की मौत हो जाती है। यह आंकड़ा बताता है कि समय पर सही एंटी-वेनम उपलब्ध न होने से कितनी बड़ी संख्या में जानें जाती हैं। नए केंद्र के शुरू होने से यह स्थिति बदल सकती है।
केंद्र से लगभग 300 लोगों को रोजगार मिलेगा। खास बात यह है कि इसमें सपेरा समुदाय को प्राथमिकता दी जाएगी। यह समुदाय पारंपरिक रूप से सांपों से जुड़ा रहा है, लेकिन आधुनिक समय में यह हाशिए पर चला गया है। इस परियोजना से उन्हें न सिर्फ सम्मानजनक रोजगार मिलेगा बल्कि सांपों और इंसानों के बीच संतुलन बनाने में भी उनकी भूमिका अहम होगी।
सभी सांपों को सुरक्षित वातावरण में रखा जाएगा। बाहर से लाए गए सांपों को पहले क्वारंटाइन में रखा जाएगा ताकि किसी तरह की बीमारी या संक्रमण का खतरा न रहे। इस वैज्ञानिक व्यवस्था से सांपों की सुरक्षा और इंसानों की सुरक्षा दोनों सुनिश्चित होगी।
आगर का यह केंद्र आने वाले समय में न केवल मध्यप्रदेश बल्कि राजस्थान और गुजरात जैसे पड़ोसी राज्यों के लिए भी जीवनरक्षक केंद्र साबित होगा। यहां से तैयार होने वाला एंटी-वेनम हजारों लोगों की जान बचाने में मदद करेगा। साथ ही, यह कदम वैज्ञानिक अनुसंधान, रोजगार और सामाजिक उत्थान, तीनों स्तरों पर बदलाव की नई इबारत लिखेगा।
