16 अगस्त से निगमकर्मियों का - स्थायीकरण और भ्रष्टाचार के खिलाफ - शुरू होगा आंदोलन

Jitendra Kumar Sinha
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पटना नगर निगम के चतुर्थवर्गीय कर्मचारी एक बार फिर अपने अधिकारों और सम्मान की लड़ाई के लिए सड़क पर उतरने की तैयारी में हैं। गुरुवार को आयोजित बैठक में यह सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है कि 16 अगस्त से बांकीपुर अंचल से धरना-प्रदर्शन के साथ आंदोलन की शुरुआत किया जायेगा। बैठक की अध्यक्षता संघ के अध्यक्ष जितेंद्र कुमार ने की, जिसमें कर्मियों की लंबित मांगों और समस्याओं पर विस्तार से चर्चा हुई।

नगर निगम के चतुर्थवर्गीय कर्मचारी लंबे समय से दैनिक मजदूरों के स्थायीकरण, आउटसोर्स कर्मियों को दैनिक कर्मी के रूप में समायोजन और स्थानीय स्तर पर हो रहे शोषण को लेकर संघर्षरत हैं। कर्मचारियों का कहना है कि वे वर्षों से निगम में सेवा दे रहे हैं, लेकिन उन्हें स्थायी नौकरी का लाभ नहीं मिल रहा। इससे उनकी आर्थिक सुरक्षा और सामाजिक सम्मान दोनों प्रभावित हो रहे हैं।

बैठक में कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि निगम में मानव बल की चोरी और आर्थिक भ्रष्टाचार चरम पर है। इससे न केवल कामकाज प्रभावित हो रहा है, बल्कि ईमानदार कर्मचारियों का मनोबल भी गिर रहा है। इसके अलावा, ठेका और आउटसोर्सिंग व्यवस्था को लेकर भी असंतोष जताया गया, जिसे कर्मचारी अपने अधिकारों के हनन के रूप में देख रहे हैं।

कई कर्मचारियों ने कहा कि न्यूनतम वेतन, समय पर वेतन भुगतान, और स्थायित्व जैसी बुनियादी जरूरतें भी पूरी नहीं हो पा रही हैं। निगम के कामकाज में भारी जिम्मेदारी निभाने के बावजूद, चतुर्थवर्गीय कर्मियों को वही सम्मान और सुविधाएं नहीं मिल रहीं जो उनके हक में हैं।

संघ ने साफ कर दिया है कि 16 अगस्त से आंदोलन सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं होगा, बल्कि यह निरंतर और चरणबद्ध तरीके से चलेगा। बांकीपुर अंचल से शुरू होने वाला यह धरना-प्रदर्शन आगे शहर के अन्य हिस्सों तक फैलाया जाएगा, जब तक कि सरकार और निगम प्रशासन उनकी मांगों पर ठोस निर्णय नहीं लेते।

कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया, तो वे आंदोलन को और व्यापक बनाएंगे, जिससे नगर निगम की सेवाएं ठप हो सकती हैं। संघ ने प्रशासन से आग्रह किया है कि बातचीत के जरिए समस्याओं का समाधान निकाला जाए, ताकि स्थिति टकराव में न बदले।

पटना नगर निगम के चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों का यह आंदोलन सिर्फ वेतन और स्थायीकरण की मांग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भ्रष्टाचार और शोषण के खिलाफ एक सामूहिक आवाज भी है। अब देखना होगा कि 16 अगस्त के बाद प्रशासन और सरकार इस बिगुल का कैसे जवाब देता है, समाधान के जरिए या टकराव के रास्ते से।



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