अरुणाचल प्रदेश के तवांग में 14,000 फीट पर गूँजा “तिरंगा”

Jitendra Kumar Sinha
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भारत के स्वतंत्रता दिवस पर देशभक्ति का जज्बा आसमान को छू गया, जब अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिला में 14,000 फीट की ऊँचाई पर भारतीय सेना की गजराज कोर ने तिरंगा मार्च का नेतृत्व किया। इस अद्वितीय आयोजन ने न केवल सीमांत क्षेत्र को राष्ट्रीय गर्व से भर दिया बल्कि यह संदेश भी दिया कि भारत की आजादी का पर्व केवल मैदानों और शहरों में ही नहीं, बल्कि दुर्गम पहाड़ों और सीमा के आखिरी गांव तक मनाया जाता है।

इस ऐतिहासिक मार्च में भारतीय सेना के 160 गोरखा सैनिकों ने 25 आईटीबीपी कर्मियों के साथ मिलकर 100 मीटर लंबा राष्ट्रीय ध्वज फहराया। बर्फ से ढके पहाड़ों और कठिन भूभाग पर यह दृश्य देशभक्ति और साहस का प्रतीक बन गया। यह केवल एक मार्च नहीं था, बल्कि राष्ट्र की एकता, शक्ति और गर्व का जीवंत प्रदर्शन था।

इस तिरंगा मार्च की सबसे खास बात यह रही कि इसमें केवल सेना ही नहीं, बल्कि आम नागरिकों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। मागो और चूना गांव के 150 स्थानीय ग्रामीणों, जिनमें महिलाएँ और बच्चे भी शामिल थे, ने सैनिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मार्च किया। हर घर पर गर्व से तिरंगा लहराया गया, जिससे पूरा क्षेत्र राष्ट्रप्रेम के रंग में रंग गया।

केंद्रीय उच्च तिब्बती अध्ययन संस्थान सारनाथ और वाराणसी के 23 छात्र और एक शिक्षक भी इस मार्च का हिस्सा बने। यह उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि देश के कोने-कोने से युवा भारत के गौरव को महसूस करने और सीमावर्ती क्षेत्रों से जुड़ने की पहल कर रहे हैं। यह सामूहिक प्रयास आने वाली पीढ़ियों में भी देशभक्ति की भावना को और प्रबल करेगा।

अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने इस आयोजन की दिल से सराहना की। उन्होंने कहा कि यह तिरंगा मार्च भारत की सच्ची भावना का शिखर है। सुदूर सीमांत क्षेत्रों में तिरंगे का लहराना इस बात का प्रमाण है कि देश का हर कोना राष्ट्रीय गौरव और एकता से जुड़ा हुआ है।

यह आयोजन केवल एक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह एक सशक्त संदेश था कि स्वतंत्रता एक साझा जिम्मेदारी है। जब सैनिक, छात्र, ग्रामीण और बच्चे मिलकर तिरंगा उठाते हैं, तो वह क्षण देश के लिए एक सामूहिक उत्सव का प्रतीक बन जाता है।

तवांग की बर्फीली चोटियों पर गूँजा यह तिरंगा मार्च याद दिलाता है कि देशभक्ति सीमाओं, ऊँचाइयों या कठिनाइयों से परे है। चाहे वह सैनिक हों जो सीमा पर डटे हैं, ग्रामीण हों जो राष्ट्रप्रेम से जुड़े हैं, या छात्र हों जो भविष्य के भारत का निर्माण करेंगे, सब मिलकर जब तिरंगे के नीचे खड़े होते हैं, तो यही भारत की असली शक्ति और एकता का प्रमाण है।



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